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नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 10वीं बार शपथ ली, जिसमें 27 मंत्रियों ने सामूहिक रूप से शपथ ली। इस समारोह में पीएम मोदी और अन्य प्रमुख नेताओं की उपस्थिति रही। जानें इस शपथ ग्रहण समारोह की खास बातें, जिसमें जाति समीकरण और सामूहिक शपथ लेने की प्रक्रिया शामिल है।
 

नीतीश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह

शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी ने नीतीश कुमार का अभिवादन किया।Image Credit source: Media House

नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 10वीं बार शपथ ली है। पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिससे उनकी नई सरकार में कुल 27 मंत्री शामिल हुए।

इस शपथ ग्रहण समारोह की खास बात यह रही कि पीएम मोदी ने गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन किया। समारोह में मंत्रियों की सामूहिक शपथ लेने की तस्वीरें भी चर्चा का विषय बनीं, जिसमें मंत्रियों की आवाजें एक साथ गूंज रही थीं।

बिहार सरकार में 27 मंत्रियों ने शपथ ली, जिनमें सामान्य वर्ग के 8 मंत्री शामिल हैं, जिनमें राजपूत- 4, भूमिहार- 2, ब्राह्मण- 1 और कायस्थ- 1 हैं। पिछड़ी जातियों से 9 मंत्री हैं, जिनमें कुशवाहा- 3, कुर्मी- 2, वैश्य- 2 और यादव- 2 शामिल हैं। अति पिछड़ी जातियों के 3 मंत्री और 5 दलित मंत्री भी बनाए गए हैं। मुस्लिम मंत्रियों की संख्या 1 है।

नीतीश कैबिनेट का जाति समीकरण

नीतीश कुमार की कैबिनेट में जाति समीकरण का ध्यान रखा गया है। राजपूत और दलित समुदाय से सबसे अधिक मंत्री बनाए गए हैं। इसके अलावा भूमिहार और कुशवाहा को भी तरजीह दी गई है। यादव समुदाय के 14 प्रतिशत आबादी के प्रतिनिधित्व के लिए 2 मंत्री बनाए गए हैं। जेडीयू कोटे से एक अल्पसंख्यक मंत्री भी शामिल किया गया है।

पीएम मोदी के गमछा लहराने की तस्वीर भी चर्चा में रही है। उन्होंने चुनावी रैलियों में भी इसी तरह से लोगों का अभिवादन किया था।

कई मंत्रियों ने एक साथ ली शपथ

एक और चर्चा का विषय कई मंत्रियों का एक साथ शपथ लेना था। आमतौर पर एक-एक करके शपथ दिलाई जाती है, लेकिन इस बार सामूहिक शपथ का आयोजन किया गया। इससे शपथ लेने में कुछ गलतियां भी हो सकती हैं, लेकिन यह एक सामान्य प्रक्रिया है जब मंत्रियों की संख्या अधिक हो।

बिना चुनाव लड़े मंत्री बना उपेंद्र का बेटा

उपेंद्र कुशवाहा की चर्चा भी हो रही है, जिनका बेटा बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बना है। इसी तरह, जीतनराम मांझी का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है।

राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा भी उठाया गया है, जिसमें कई नेताओं के परिवारों का नाम लिया गया है।

ब्यूरो रिपोर्ट मीडिया हाउस.