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नीतीश कुमार की योजनाओं ने बिहार चुनाव में जेडीयू को दी मजबूती

बिहार चुनाव 2025 में नीतीश कुमार की योजनाओं ने जेडीयू को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। पिछले चुनाव में 50 सीटों से कम पर रहने वाली पार्टी इस बार 80 सीटों पर मजबूत स्थिति में है। महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष योजनाओं ने मतदाताओं का विश्वास जीता है। जानें कैसे नीतीश कुमार की रणनीतियों ने चुनावी नतीजों को प्रभावित किया और जेडीयू की वापसी को सुनिश्चित किया।
 

बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार की रणनीति

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

Bihar election 2025: बिहार के चुनावी नतीजे और रुझान कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकते हैं। जेडीयू, जो पिछले चुनाव में 50 सीटों से भी कम पर थी, इस बार 80 सीटों पर मजबूत स्थिति में है। यह एक ऐसी वापसी है जिसने राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। सवाल यह है कि यह कैसे संभव हुआ? इसका उत्तर नीतीश कुमार के 20 साल के कार्यकाल की योजनाओं में छिपा है। ऐसा लगता है कि नीतीश ने समझ लिया था कि उन्होंने जो करना था, वह कर लिया है और अब केवल परिणामों की पुष्टि होनी बाकी थी। इस चुनाव में नीतीश कुमार एक ‘योजना निर्माता’ के रूप में उभरे हैं, जिनकी योजनाओं का जादू मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।

महिलाओं का योगदान: जेडीयू की सफलता का राज

यदि इस चुनावी सफलता का श्रेय किसी वर्ग को दिया जाए, तो वह बिहार की महिलाएं हैं। नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही महिलाओं के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2006 में शुरू की गई साइकिल और यूनिफॉर्म योजना है। जब लड़कियां साइकिल चलाकर स्कूल जाने लगीं, तो यह केवल एक योजना की सफलता नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन गई। इस कदम ने लड़कियों की स्कूल में उपस्थिति और उच्च शिक्षा तक उनकी पहुंच को अभूतपूर्व रूप से बढ़ा दिया।

लेकिन यह केवल साइकिल योजना तक सीमित नहीं रहा। 2006 में पंचायती राज अधिनियम के माध्यम से पंचायतों और शहरी निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इस कदम ने महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित किया और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया।

फिर चुनाव से ठीक पहले ‘10 हजरिया स्कीम’ का मास्टरस्ट्रोक आया। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत, सरकार ने 1.30 करोड़ ‘जीविका दीदियों’ के खातों में सीधे 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर किए। ये महिलाएं, जिनकी कुल संख्या 1.4 करोड़ से अधिक है, राज्य की लगभग 3.5 करोड़ महिला मतदाताओं का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा हैं। यह राशि उन्हें अपने रोजगार की शुरुआत के लिए दी गई। साथ ही, प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता का भरोसा भी दिया गया। इस योजना ने महिला वोट बैंक को मजबूती से जेडीयू के पक्ष में लामबंद कर दिया।

शराबबंदी का प्रभाव

नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर में 4 अप्रैल 2016 का दिन महत्वपूर्ण है, जब उन्होंने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की। शराब के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। इस फैसले की आलोचना भी हुई, लेकिन ग्रामीण बिहार में महिलाओं के बीच नीतीश कुमार की छवि एक समाज सुधारक की बन गई। जिन महिलाओं के घर शराब के कारण बर्बाद हो रहे थे, उनके लिए यह एक बड़ी राहत थी। इस निर्णय ने महिला मतदाताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता को मजबूत किया।

युवाओं के लिए योजनाएं

नीतीश कुमार ने महिलाओं के साथ-साथ राज्य के युवाओं को भी साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने समझा कि युवा आबादी की आकांक्षाओं को पूरा किए बिना सत्ता में बने रहना मुश्किल है। इसी सोच के साथ 2 अक्टूबर 2016 को दो महत्वपूर्ण योजनाएं लॉन्च की गईं।

पहली थी ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’, जिसके तहत 20 से 25 साल के बेरोजगार युवाओं को, जो 12वीं पास हैं और आगे की पढ़ाई नहीं कर रहे, दो साल तक 1,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

दूसरी और सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ थी, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि बिहार का कोई भी छात्र पैसे की कमी के कारण अपनी पढ़ाई न रोके। इस योजना के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 4 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त शिक्षा लोन दिया जाएगा। इन योजनाओं ने युवाओं के एक बड़े वर्ग को सरकार से सीधे जोड़ा।

सामाजिक सुरक्षा योजनाएं

नीतीश कुमार की रणनीति केवल महिलाओं और युवाओं तक सीमित नहीं रही। उन्होंने आम आदमी और हर परिवार को प्रभावित करने वाली योजनाओं पर भी ध्यान दिया। हाल ही में सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दिया गया। इस निर्णय से राज्य के लगभग एक करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सीधा लाभ मिला, जिनमें ज्यादातर बुजुर्ग और जरूरतमंद हैं।

इसके साथ ही, अगस्त 2025 से घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा ने हर घर को राहत दी है। यह सब ‘सात निश्चय’ कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसने ग्रामीण और शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे ‘हर घर नल का जल’ और बेहतर सड़कों पर ध्यान केंद्रित किया।

चाहे इसे कल्याणकारी राजनीति कहा जाए या एक सधी हुई चुनावी रणनीति, नीतीश कुमार ने अपनी योजनाओं के माध्यम से बिहार के आम आदमी का विश्वास जीता है। इन योजनाओं ने उनकी राजनीतिक पहचान को मजबूत किया है, जिसने जेडीयू की प्रभावशाली वापसी सुनिश्चित की है।