नींद की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं और समाधान
नींद का महत्व
प्रत्येक दिन पर्याप्त नींद लेना हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन और जल। नींद केवल आराम करने का एक साधन नहीं है, बल्कि यह शरीर की मरम्मत, मस्तिष्क की सफाई और मानसिक संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.
नींद की कमी के प्रभाव
नींद के दौरान, हमारा शरीर कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, जैसे मांसपेशियों की मरम्मत, इम्यून सिस्टम को मजबूत करना, हार्मोन्स का संतुलन बनाना और मस्तिष्क में जानकारी को प्रोसेस करना। यदि रोजाना नींद पूरी नहीं होती है, तो इसका प्रभाव धीरे-धीरे सभी अंगों और प्रणालियों पर दिखाई देने लगता है.
वयस्कों को प्रतिदिन 7 से 9 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। बच्चों और किशोरों को इससे भी अधिक नींद की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनका शरीर और मस्तिष्क तेजी से विकसित हो रहा होता है। लेकिन आज की तेज़ जीवनशैली में, पढ़ाई का दबाव, मोबाइल या लैपटॉप की लत, काम की चिंता और देर रात तक सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना, ये सभी नींद में बाधा डालने वाले कारक बन गए हैं.
नींद की कमी से होने वाली बीमारियाँ
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के मेडिसन विभाग के डॉ. अजीत कुमार के अनुसार, नींद की कमी का सबसे पहला प्रभाव एकाग्रता पर पड़ता है। इससे व्यक्ति दिनभर थकान महसूस करता है, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन बढ़ता है और मस्तिष्क ठीक से कार्य नहीं कर पाता। इससे न्यूरो हेल्थ प्रभावित हो सकती है.
धीरे-धीरे यह समस्या ब्रेन फॉग, याददाश्त में कमी और सोचने-समझने की क्षमता पर असर डालती है। जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनके लिए दुर्घटनाएं और गलत निर्णय लेने की संभावना भी अधिक होती है.
शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नींद की कमी का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। लगातार नींद की कमी से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है.
नींद के दौरान शरीर इंसुलिन का संतुलन बनाता है, लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर में इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाता है और रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा होता है.
साथ ही, शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने और मोटापे की संभावना बढ़ती है। पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है, जिससे गैस, एसिडिटी और भूख न लगने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
नींद की कमी से शरीर का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। ऐसे लोग बार-बार सर्दी, खांसी और संक्रमण जैसी समस्याओं का सामना करते हैं क्योंकि उनका शरीर ठीक से लड़ नहीं पाता.
त्वचा की सेहत भी प्रभावित होती है। आंखों के नीचे काले घेरे, पिम्पल्स और सूखापन जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.
अच्छी नींद के लिए सुझाव
रोजाना मेडिटेशन करें।
सोने से एक घंटा पहले फोन या लैपटॉप का उपयोग न करें।
रात में चाय या कॉफी पीने से बचें।
डॉक्टर से सलाह लें।