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नागालैंड सीमा पर मिजिंग समुदाय की भूमि विवाद पर चिंता

असम-नागालैंड सीमा पर मिजिंग समुदाय ने हाल ही में नागा परिषद द्वारा किए गए भूमि दावे को लेकर चिंता व्यक्त की है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह भूमि पीढ़ियों से उनके अधिकार में है। गांव के मुखिया ने आरोप लगाया है कि एक तीसरा पक्ष इस विवाद को भड़काने में लगा हुआ है। इसके अलावा, नागालैंड के अधिकारियों द्वारा विकास कार्यों में रुकावट डालने की भी शिकायत की गई है। स्थानीय लोग असम सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सभी की नजरें असम और नागालैंड सरकारों पर हैं कि वे इस मामले को जल्द सुलझाएं।
 

भूमि विवाद की पृष्ठभूमि


मेरापानी, 6 अगस्त: असम-नागालैंड सीमा के निकट स्थित 2 नंबर नेघेरिबिल के मिजिंग समुदाय ने हाल ही में नागा परिषद द्वारा किए गए एक क्षेत्रीय दावे को लेकर गहरी चिंता और असंतोष व्यक्त किया है।


स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

बुधवार को आयोजित एक प्रेस मीट में, मिजिंग समुदाय के नेताओं और स्थानीय निवासियों ने इस दावे को सख्ती से खारिज करते हुए कहा कि यह भूमि पीढ़ियों से मिजिंग लोगों का निवास स्थान है।


गांव के मुखिया ने कहा, “हमारी भूमि को किसी भी परिस्थिति में नागालैंड का हिस्सा नहीं घोषित किया जा सकता। हम यहां सदियों से रह रहे हैं और हमेशा अपने नागा पड़ोसियों के साथ शांति से coexistence किया है। लेकिन यह अचानक दावा बेहद परेशान करने वाला है।”


विवाद का कारण

यह विवाद हाल ही में नागालैंड के तीन गांवों के मुखियाओं द्वारा जारी एक वीडियो से उत्पन्न हुआ है, जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि नेघेरिबिल के कुछ हिस्से उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।


2 नंबर नेघेरिबिल के स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि एक तीसरा पक्ष इन दावों को भड़काने में लगा हुआ है, जिससे एक शांतिपूर्ण क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो रहा है।


गांव के मुखिया ने कहा, “हमें लगता है कि एक तीसरा पक्ष शामिल है, जो दोनों पक्षों को उकसा रहा है। ऐसा लगता है कि कुछ विस्थापित अतिक्रमणकारी नेघेरिबिल की भूमि पर नियंत्रण पाने के लिए आग को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं।”


स्थानीय विकास कार्यों में रुकावट

गांव वालों का कहना है कि नागालैंड के अधिकारियों, जिसमें एक सीमा मजिस्ट्रेट भी शामिल है, ने हाल ही में क्षेत्र का दौरा किया और 2002 से बिना रुकावट चल रहे विकास कार्यों को रोक दिया।


स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार है जब ऐसी हस्तक्षेप हुई है, जबकि भूमि दशकों से असम के प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल है।


स्थानीय निवासियों की मांग

गांव वाले अब असम सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, और संवेदनशील क्षेत्र में असम पुलिस बटालियन या असम राइफल्स कैंप की तैनाती की अपील कर रहे हैं।


स्थानीय लोगों ने दोनों पक्षों के परिषदों से अपील की है कि वे क्षेत्रीय विवादों को भड़काने से बचें।


स्थिति की गंभीरता

गांव के मुखिया ने कहा, “हम वर्षों से शांति में रह रहे हैं। ‘आपकी भूमि’ या ‘मेरी भूमि’ की बात नहीं होनी चाहिए। हम अपने पड़ोसियों से अपील करते हैं कि वे बाहरी लोगों को तनाव भड़काने की अनुमति न दें। दोनों राज्य सरकारों को शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”


इस बीच, 8 अगस्त को नेघेरिबिल में एक बड़ा निष्कासन अभियान निर्धारित है, जिसमें जिला प्रशासन और वन विभाग लगभग 300 बिघा अतिक्रमित भूमि को साफ करने के लिए तैयार हैं।


इस अभियान का प्रभाव क्षेत्र में रहने वाले लगभग 205 परिवारों पर पड़ेगा।


रिपोर्टों के अनुसार, अभियान से पहले क्षेत्र में भारी सुरक्षा, जिसमें CRPF कर्मी शामिल हैं, तैनात की गई है।