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नाग पंचमी: प्रमुख मंदिरों की पूजा और महत्व

नाग पंचमी, भारतीय पौराणिक कथाओं में नागों की पूजा का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भक्त विशेष मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं, जिनमें भुजंग नाग मंदिर, मन्नारशाला मंदिर, नागद्वार मंदिर, नाग चंद्रेश्वर मंदिर और शेषनाग मंदिर शामिल हैं। हर मंदिर की अपनी विशेषताएँ और मान्यताएँ हैं, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं। जानें इन मंदिरों के बारे में और कैसे ये मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होते हैं।
 

नाग पंचमी का महत्व


भारतीय पौराणिक कथाओं में नागों का एक विशेष स्थान है। विशेष अवसरों पर नाग देवता की पूजा का महत्व है। नाग पंचमी, जो सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, इस दिन नागों की पूजा की जाती है।


इस दिन भक्तों को कुछ विशेष मंदिरों में दर्शन और पूजा करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में, जिनकी पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि कुछ मंदिर केवल नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं।


भुजंग नाग मंदिर, गुजरात

भुजंग नाग मंदिर, गुजरात :



भुजिया किला, जो गुजरात के भुज के बाहरी इलाके में स्थित है, एक प्राचीन किला है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह पहले नागा सरदारों का था। नागा कबीले के अंतिम भुजंगा की मृत्यु के बाद, स्थानीय लोगों ने उनके लिए एक मंदिर का निर्माण किया।


यह मंदिर भुजिया पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और इसे भुजंग नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है। नाग पंचमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है, और भक्तों की भीड़ लगती है। मान्यता है कि इस दिन दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


मन्नारशाला मंदिर, केरल

मन्नारशाला मंदिर, केरल :


मन्नारशाला मंदिर का निर्माण भगवान परशुराम द्वारा किया गया माना जाता है। यहां नागा देवताओं की लगभग 30,000 छवियां हैं। इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि यहां की मुख्य पुजारी एक महिला हैं। यह केरल का सबसे बड़ा सर्प मंदिर है।


लोग यहां संतान प्राप्ति की कामना के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सेहत में सुधार होता है और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।


नागद्वार मंदिर, पचमढ़ी, मध्य प्रदेश

नागद्वार मंदिर, पचमढ़ी, मध्य प्रदेश :


यह मंदिर मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में स्थित है और मुख्य रूप से सांपों को समर्पित है। यह एक अद्वितीय और रहस्यमय मंदिर है। हर साल नागद्वार में एक मेला आयोजित होता है, और सावन के महीने में भक्तों को यहां जाने की अनुमति होती है।


यहां पहुंचने के लिए भक्तों को लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है। नागद्वारी में चिंतामणि गुफा में नाग देवता की कई मूर्तियां हैं।


नाग चंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन

नाग चंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन :



यह मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है। इस दिन भक्तों की भीड़ लग जाती है। मान्यता है कि इस मंदिर में हर भक्ति की मनोकामना पूरी होती है।


उज्जैन में नाग चंद्रेश्वर मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागराज तक्षक यहां प्रकट होते हैं।


शेषनाग मंदिर, जम्मू कश्मीर

शेषनाग मंदिर, जम्मू कश्मीर :


मानसर झील के पूर्वी तट पर स्थित शेषनाग मंदिर भगवान शेषनाग को समर्पित है। यहां एक बड़ा शिलाखंड है जिस पर लोहे की जंजीरें रखी गई हैं, जो शेषनाग के छोटे नागों का प्रतीक हैं। नवविवाहित जोड़े इस झील के चारों ओर परिक्रमा करना शुभ मानते हैं।


कश्मीर के अनंतनाग जिले में शेषनाग झील भी भगवान शेषनाग को समर्पित है।