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नवरात्रि में देवी दुर्गा के लिए खोइचा भरने की परंपरा

इस लेख में हम शारदीय नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के लिए खोइचा भरने की परंपरा के महत्व और शुभ समय के बारे में जानेंगे। विवाहित महिलाएं इस अवसर पर अपने पतियों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। जानें खोइचा भरने के लिए आवश्यक सामग्री और तिथियाँ।
 

खोइचा भरने का महत्व


खोइचा भरने की परंपरा देवी दुर्गा के लिए शारदीय नवरात्रि के दौरान सदियों पुरानी है। यह दिन नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष माना जाता है, जब विवाहित महिलाएं देवी दुर्गा के लिए खोइचा भरती हैं। इस वर्ष खोइचा भरने का शुभ समय और तिथि निम्नलिखित है:

खोइचा भरने का दिन और शुभ समय
इस वर्ष खोइचा भरने का शुभ समय मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को होगा। खोइचा भरने का शुभ समय सूर्योदय के बाद, लगभग 6:15 बजे से 7:25 बजे तक है, जिसे शुभ माना जाता है। खोइचा भरने का सबसे अच्छा समय दिन के दूसरे भाग में, 9:15 बजे से 11:59 बजे तक है। वैकल्पिक समय: यदि आप इन शुभ समयों में खोइचा नहीं भर पाते हैं, तो आप 1:54 बजे तक किसी भी समय खोइचा भर सकते हैं।

इस नवरात्रि की तिथियों और महत्व को जानें।
नवरात्रि 22 सितंबर 2025 को शुरू होगी और दशहरा, 2 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगी। महा अष्टमी 30 सितंबर को मनाई जाएगी, और महा नवमी 1 अक्टूबर को। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और प्रत्येक दिन का विशेष महत्व होता है।

शारदीय नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के खोइचा को भरने की परंपरा का पालन करने के लिए, आपको इसे मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को शुभ समय में करना होगा। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जब विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए खोइचा भरती हैं।

खोइचा भरना सनातन परंपरा में शुभता का प्रतीक माना जाता है, और इसे विदाई के समय दिया जाता है, जो शुभता और कल्याण का प्रतीक है।

खोइचा भरने के लिए आवश्यक सामग्री
महिलाएं खोइचा भरने के लिए विशेष सामग्री का उपयोग करती हैं। इसमें अरवा चावल, पांच सुपारी, पांच पान, सौंदर्य प्रसाधन, हल्दी, दुर्वा घास, पैसे, मिठाइयाँ, और कपड़े शामिल हैं। इन सामग्रियों को देवी दुर्गा के खोइचा में रखकर, नम आंखों से विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है।

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