नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और महत्व
नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है, खासकर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन। जानें इस दिन की पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन की पूजा की जाती है और इसके महत्व क्या हैं।
Sep 22, 2025, 16:34 IST
नवरात्रि का पर्व और मां ब्रह्मचारिणी
Navratri Day 2 Pujan Vidhi
Shardiya Navratri 2025 Day 2: नवरात्रि का यह पर्व विशेष महत्व रखता है। शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हुई है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। भक्त इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। 'ब्रह्म' का अर्थ तपस्या और 'चारिणी' का अर्थ आचरण करने वाली होता है। इस प्रकार, ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का पालन करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल होता है।
नवरात्रि का दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी) का महत्व
- मां ब्रह्मचारिणी संयम, तपस्या और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं।
- इस दिन उनकी पूजा से मानसिक शांति, बुद्धि में वृद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजन विधि (Pujan Vidhi)
स्नान और स्वच्छता
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें। मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पुष्प और दीपक अर्पण
दीपक, धूप, लाल या सफेद फूल और कलश रखकर पूजा प्रारंभ करें।
भोग अर्पित करें
मां को मिश्री, फलों, हलवे या दूध का भोग चढ़ाएँ। मंगलवार को यह भोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
मंत्र जाप
आरती और भोग के समय निम्न मंत्र का जाप करें:
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
इसे कम से कम 108 बार जपें।
आरती पाठ
पूजा के अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें। घर के सभी सदस्य दीपक और हाथ में थाली लेकर आरती में शामिल हों।
पूजा का महत्व
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है।
- जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- व्रत और भक्ति से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Shardiya Navratri 2025: महत्वपूर्ण कार्य
नवरात्रि के आरंभ से पहले कुछ कार्यों को निपटा लेना चाहिए ताकि मां दुर्गा का आशीर्वाद बना रहे।