नवरात्रि का इतिहास: शक्ति साधना की परंपरा का उद्गम
नवरात्रि का व्रत: शुरुआत और महत्व
नवरात्रि का व्रत किसने शुरू किया था?
नवरात्रि को शक्ति साधना का महापर्व माना जाता है, जिसमें मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि नवरात्रि का व्रत कब और कैसे प्रारंभ हुआ। शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, चैत्र नवरात्र का उद्गम प्राचीन काल से जुड़ा है, जबकि शारदीय नवरात्रि की परंपरा समय के साथ विकसित होकर अत्यधिक लोकप्रिय हो गई है।
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत
भारत में नवरात्रि का पर्व शक्ति साधना का प्रतीक है। नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है, लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि नवरात्रि का व्रत किसने सबसे पहले रखा। शास्त्रों में इसका उत्तर दो भागों में मिलता है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, राजा सूरथ और समाधि वैश्य ने नवरात्रि का व्रत शुरू किया, जबकि रामायण में भगवान श्रीराम का उल्लेख है, जिन्होंने शारदीय नवरात्रि की परंपरा स्थापित की। आइए, इन दोनों दृष्टिकोणों को विस्तार से समझते हैं।
राजा सूरथ और समाधि वैश्य की कथा
मार्कंडेय पुराण में देवी महात्म्य के अंतर्गत बताया गया है कि राजा सूरथ और समाधि वैश्य ने सबसे पहले नवरात्रि का व्रत रखा। राजा सूरथ अपने दुश्मनों से हारकर वन में चले गए, जहां उनकी मुलाकात समाधि नामक व्यापारी से हुई। दोनों ने मेडा ऋषि के आश्रम जाकर अपने दुखों का समाधान मांगा। ऋषि ने उन्हें बताया कि सभी शक्तियां आदिशक्ति दुर्गा के अधीन हैं और यदि वे नवरात्रि के नौ दिनों तक मां की उपासना करें, तो उनकी इच्छाएं पूरी होंगी। राजा और व्यापारी ने नियम से पूजा की और मां दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया।
भगवान श्रीराम और शारदीय नवरात्र
दूसरी ओर, रामायण में वर्णित है कि जब श्रीराम रावण से युद्ध की तैयारी कर रहे थे, तब उन्होंने मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लिया। उस समय शरद ऋतु थी, जबकि नवरात्रि का पर्व पारंपरिक रूप से चैत्र में आता है। श्रीराम ने शास्त्रों से हटकर शरद ऋतु में मां दुर्गा की पूजा की, जिसे आकाल बोधन कहा जाता है। मां दुर्गा ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया, जिससे शारदीय नवरात्रि की परंपरा शुरू हुई।
चैत्र और शारदीय नवरात्र का महत्व
चैत्र नवरात्रि: इसका उद्गम राजा सूरथ और समाधि वैश्य की साधना से जुड़ा है। इसे वसंत ऋतु की शुरुआत और नए साल के आरंभ के रूप में मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि: यह भगवान श्रीराम की पूजा और विजय की कथा से संबंधित है। यह आश्विन मास में आता है और भारत में सबसे धूमधाम से मनाया जाता है।
दोनों पर्वों का आधार आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना है, लेकिन इनके स्वरूप और महत्ता समय के साथ भिन्न हो गई है। इस प्रकार, नवरात्रि का उद्गम चैत्र में हुआ, लेकिन शारदीय नवरात्रि सबसे बड़ी और लोकप्रिय परंपरा बन गई। यही कारण है कि आज इसे शक्ति साधना, विजय और आस्था के महापर्व के रूप में मनाया जाता है।