नई दिल्ली में 'मनोबल' प्रकल्प का उद्घाटन: दिव्यांगों के लिए शिक्षा का नया युग
नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'मनोबल' प्रकल्प का उद्घाटन किया, जो दिव्यांग, अनाथ और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को निःशुल्क आवासीय उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इस पहल का उद्देश्य समाज में समानता और अवसर की भावना को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और विद्यार्थियों की सफलता की कहानियों को साझा किया गया। यह प्रकल्प दिव्यांगों के लिए शिक्षा में एक नई दिशा का संकेत है।
Aug 12, 2025, 18:49 IST
दिव्यांगों के लिए शिक्षा में नई पहल
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिव्यांगों के लिए सहायक और समावेशी योजनाएं शामिल हैं, लेकिन केवल नीतियों से बदलाव नहीं आएगा। इसके लिए समाज में संवेदनशीलता और करुणा का होना आवश्यक है, तभी सभी को समान संसाधन, अवसर और सम्मान मिल सकेगा। दीपस्तंभ फाउंडेशन का ‘मनोबल’ प्रकल्प इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वे सोमवार को नई दिल्ली में ‘मनोबल’ प्रकल्प के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
मनोबल प्रकल्प का उद्देश्य
‘मनोबल’ प्रकल्प, जो दिव्यांग, अनाथ, ट्रांसजेंडर और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को निःशुल्क आवासीय उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है, जळगांव और पुणे के बाद अब नई दिल्ली में भी शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित नवनिर्मित महाराष्ट्र सदन के सभागार में हुआ। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों की राज्य मंत्री रक्षाताई खडसे, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री का योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘दिव्यांग’ शब्द को लोकप्रिय बनाने का उल्लेख करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि देश में 26.10 करोड़ स्कूली विद्यार्थियों में 2.1 करोड़ दिव्यांग हैं, और उनके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। वास्तविक समानता तभी संभव है जब दिव्यांग, अनाथ और ट्रांसजेंडर समुदाय को समान अवसर और सम्मान मिले। ‘मनोबल’ प्रकल्प इसी सोच से प्रेरित है।
समाज की जिम्मेदारी
कार्यक्रम में रक्षाताई खडसे ने कहा कि समाज के इन जरूरतमंद विद्यार्थियों के विकास की जिम्मेदारी सभी की है। दीपस्तंभ का कार्य प्रेरणादायक है और सभी को इसमें भाग लेना चाहिए। राजेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले दस वर्षों में दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। ‘मनोबल’ में विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा मिलती है, बल्कि आत्मसम्मान और पारिवारिक स्नेह का वातावरण भी मिलता है।
भविष्य की योजनाएं
यजुर्वेंद्र महाजन ने कहा कि अगले 25 वर्षों में हमारा लक्ष्य दिव्यांग, अनाथ और ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और करियर के लिए मुख्यधारा में लाना है। उन्हें सुरक्षित घर और समाज में समान स्थान की आवश्यकता है।
विद्यार्थियों की सफलता की कहानियाँ
समारोह में ‘मनोबल’ में अध्ययनरत विद्यार्थियों का सम्मान किया गया, जिन्होंने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की। इनमें मनु गर्ग (आईएएस), माऊली अडकुर, कविता देसले, और अन्य शामिल हैं।