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धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता यात्रा का दूसरा दिन: श्रद्धा और जोश का अद्भुत संगम

धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता यात्रा का दूसरा दिन भक्ति और जोश से भरा रहा। श्रद्धालुओं ने यात्रा का स्वागत फूलों से किया, और शास्त्री ने इसे वैचारिक क्रांति बताया। यह यात्रा 16 नवंबर को समाप्त होगी, और इसके माध्यम से एकता और श्रद्धा का संदेश फैल रहा है। जानें इस यात्रा के बारे में और क्या खास है इसमें।
 

बागेश्वर बाबा पदयात्रा का उत्सव

बागेश्वर बाबा पदयात्रा


बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता यात्रा का आज दूसरा दिन है। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, लोगों का समर्थन और श्रद्धा का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। सड़क किनारे उमड़ती भीड़, भगवा झंडों की लहर और जय श्रीराम के नारों से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो रहा है। यह 10 दिवसीय यात्रा 16 नवंबर को समाप्त होगी।


धीरेंद्र शास्त्री का स्पष्ट संदेश

धीरेंद्र शास्त्री ने पहले ही स्पष्ट किया है कि “सनातन हिंदू एकता यात्रा किसी राजनीतिक आंदोलन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह विचारों को जागरूक करने वाली एक वैचारिक क्रांति है। हम सरकार से हिंदू राष्ट्र की मांग नहीं कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि लोगों के दिलों में यह राष्ट्र हिंदू बन जाए। हम केवल चाहते हैं कि सनातन धर्म को उसका उचित सम्मान मिले। यह यात्रा हनुमान जी की कृपा से लोगों में चेतना और शक्ति जगाने का माध्यम बने।”


भक्ति और उमंग का अद्भुत संगम

यात्रा के दूसरे दिन, विभिन्न स्थानों पर लोगों ने फूलों की वर्षा कर बागेश्वर सरकार का स्वागत किया। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में उत्साह देखने लायक था। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि उनके अंदर जैसे कोई नई ऊर्जा जाग उठी है, मानो हनुमान जी स्वयं शक्ति प्रदान कर रहे हों।


एकता का संदेश और श्रद्धा का प्रतीक

सनातन हिंदू एकता यात्रा अब धीरे-धीरे एक बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। जहां-जहां यह यात्रा पहुंच रही है, वहां भक्तिभाव और एकता का संदेश फैल रहा है। बागेश्वर बाबा की यह धार्मिक यात्रा 16 नवंबर 2025 को छठीकरा के चार धाम से वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर के दर्शन के बाद समाप्त होगी।