धर्मेंद्र प्रधान का तमिल में संबोधन: हिंदी थोपने की अफवाहों का खंडन
काशी तमिल संगमम 4.0 का समापन
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने काशी तमिल संगमम 4.0 के समापन समारोह में पूरी तरह से तमिल भाषा में संबोधन दिया। यह कार्यक्रम रामेश्वरम में मंगलवार को आयोजित हुआ। उनका तमिल में बोलना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। इसका मुख्य संदेश यह था कि केंद्र सरकार भाषा के मुद्दे पर टकराव नहीं चाहती और न ही हिंदी को थोपने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि भारत की भाषाएं एकता के लिए हैं, न कि विभाजन के लिए। तमिल में बोलकर उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तमिल भाषा और उसकी पहचान का पूरा सम्मान किया जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संदेश सीधे तमिलनाडु की जनता और मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास है।
धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के संदर्भ में भी स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह नीति मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देती है, जिसका उद्देश्य विकल्प प्रदान करना है, न कि दबाव बनाना। यह विशेष रूप से तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है।
विश्लेषकों का मानना है कि हिंदी विवाद के बीच यह भाषण विश्वास बनाने का प्रयास है। केंद्र सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह भाषाई मुद्दों के प्रति संवेदनशील है। इसलिए, इस संबोधन को केंद्र-तमिलनाडु संबंधों में सुधार का संकेत माना जा रहा है।
तमिल सभ्यता का महत्व
शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की आत्मा उसकी सभ्यताओं के समन्वय में निहित है और तमिल सभ्यता उस आत्मा का प्राचीन और सशक्त स्वर है। उन्होंने बताया कि तमिल सभ्यता ने भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक चेतना को महत्वपूर्ण दिशा दी है। इस वर्ष की थीम #TamilKarkalam तमिल भाषा के माध्यम से भारत के प्राचीन ज्ञान और जीवन दर्शन से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी समावेशी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है.