×

द्रौपदी का विवाह: शिवजी का अनोखा वरदान और 14 गुणों की कहानी

द्रौपदी का विवाह एक अद्भुत कहानी है, जिसमें शिवजी का अनोखा वरदान और 14 गुणों की विशेषता शामिल है। द्रुपद की पुत्री द्रौपदी ने शिवजी की कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप उन्हें 14 गुणों वाले पतियों का वरदान मिला। जानें कैसे द्रौपदी ने अपने सम्मान की रक्षा करते हुए पांच पांडवों से विवाह किया। यह कहानी न केवल द्रौपदी के साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक महिला अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा कर सकती है।
 

द्रौपदी का जन्म और विशेषता


द्रुपद की पुत्री द्रौपदी, जो महाराज द्रुपद की अनियोजित संतान थीं, का जन्म एक विशेष आकाशवाणी के साथ हुआ था।


इस आकाशवाणी में कहा गया था कि यह रमणी रत्न देवताओं के कार्य को सिद्ध करने और उन्मत क्षत्रियों का संहार करने के लिए जन्मी है। इससे कौरवों में भय उत्पन्न होगा।


द्रौपदी का नाम और गुण

द्रुपद की पुत्री होने के कारण उन्हें द्रौपदी कहा गया। उन्हें यज्ञसेनी भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि उनका जन्म यज्ञकुण्ड से हुआ था। उनका रूप कृष्ण वर्ण के कमल के समान था, इसलिए उन्हें कृष्णा भी कहा जाता है।


द्रौपदी की इच्छा थी कि उनके पति में 14 विशेष गुण हों, जैसे यश, धन, सौंदर्य, साहस, बुद्धिमत्ता, और धर्म।


शिवजी की तपस्या और वरदान

इन गुणों की प्राप्ति के लिए द्रौपदी ने शिवजी की कठोर तपस्या की। शिवजी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और द्रौपदी को वरदान मांगने के लिए कहा।


द्रौपदी ने 14 गुणों वाले पति की कामना की, लेकिन शिवजी ने कहा कि ये सभी गुण एक ही व्यक्ति में नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि ये गुण अलग-अलग व्यक्तियों में मिलेंगे और द्रौपदी का विवाह 14 गुणों वाले 14 पुरुषों से होगा।


द्रौपदी का सम्मान और विवाह

द्रौपदी ने शिवजी से पूछा कि क्या यह वरदान है या श्राप, क्योंकि 14 पतियों से विवाह होने पर उनके सम्मान पर कलंक लगेगा।


शिवजी ने द्रौपदी को आश्वासन दिया कि जब भी वह सुबह स्नान करेंगी, वह फिर से कुंवारी बन जाएंगी। इस प्रकार, द्रौपदी का विवाह पांचों पांडवों से हुआ, जिनमें वह 14 गुण शामिल थे।