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देहरादून के युवक ने मैनेजर की बेइज्जती पर दिया इस्तीफा, सोशल मीडिया पर वायरल

देहरादून के एक युवक ने अपने मैनेजर द्वारा अपमानित होने के बाद नौकरी छोड़ने का साहसिक निर्णय लिया। उसने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी साझा की, जिसमें उसने बताया कि कैसे उसने अपने आत्म-सम्मान को प्राथमिकता दी। उसकी यह कहानी अब लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है, जो ऑफिस में मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। जानें इस वायरल पोस्ट के पीछे की पूरी कहानी और लोगों की प्रतिक्रियाएं।
 

एक युवक की साहसिक कहानी

लड़ाई के बाद बंदे ने दिया रिजाइन Image Credit source: Social Media


देहरादून के एक युवक की सोशल मीडिया पर साझा की गई कहानी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इस व्यक्ति ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी स्थिति का वर्णन किया, जिसमें उसने बताया कि अपने मैनेजर द्वारा अपमानित होने के बाद उसने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। बॉस और कर्मचारी के बीच हुई व्हाट्सएप बातचीत का स्क्रीनशॉट अब हर जगह वायरल हो चुका है। लोगों ने उसकी हिम्मत की सराहना की, क्योंकि उसने पैसे और पद से अधिक अपने आत्म-सम्मान को प्राथमिकता दी।


युवक ने अपनी पोस्ट में कहा कि उसने लंबे समय तक अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और समर्पण बनाए रखा, लेकिन जब उसकी इज्जत पर सवाल उठाया गया, तो उसने चुप रहना उचित नहीं समझा। उसने बताया कि कंपनी में एक मामूली विवाद के बाद मैनेजर ने ऐसी बातें कहीं जो उसे अपमानजनक लगीं। उसी समय उसने तय कर लिया कि अब वह वहां नहीं रुक सकता।


मामले का विवरण

क्या था आखिर ये मामला?

पोस्ट के साथ युवक ने अपने मैनेजर के साथ हुई चैट का स्क्रीनशॉट साझा किया, जो अब हजारों बार रीट्वीट हो चुका है। बातचीत भले ही छोटी थी, लेकिन उसमें गहराई थी। चैट में मैनेजर ने पिछली रात की किसी बात के लिए माफी मांगी थी। उसने लिखा, 'भाई, कल जो हुआ उसके लिए माफ करना। बुरा मत मानना, इसे पर्सनल मत लेना। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।'


इस पर कर्मचारी ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में उत्तर दिया, 'मैं थक गया हूं सर। आपको अभी अपना रेजिग्नेशन मेल भेज रहा हूं। अब मैं यहां काम नहीं करूंगा।' इसके बाद मैनेजर ने उसे रोकने की कोशिश की और बातचीत करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उसने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उसने कहा कि जब आत्म-सम्मान टूट जाता है, तो बातचीत से कुछ नहीं बदलता।


सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

यहां देखिए पोस्ट


देहरादून के इस युवक ने जो कदम उठाया, वह केवल उसकी व्यक्तिगत कहानी नहीं रही। अब यह उन लाखों लोगों की आवाज बन गई है जो अपने ऑफिस में किसी न किसी प्रकार के मानसिक दबाव या अपमान का सामना करते हैं। इस घटना ने यह भी दर्शाया कि सम्मान की कीमत किसी सैलरी स्लिप से नहीं मापी जा सकती।