देशव्यापी हड़ताल: ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, केरल में जनजीवन प्रभावित
भारत बंद का आह्वान
9 जुलाई को लगभग 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कई किसान संगठनों के सहयोग से एक राष्ट्रव्यापी 'भारत बंद' का आयोजन किया। इस हड़ताल का केरल में गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे राज्य में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। सार्वजनिक परिवहन सेवाएँ लगभग ठप हो गईं और अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। कोझिकोड, मलप्पुरम, कन्नूर और कासरगोड के कई कस्बे पूरी तरह से बंद रहे। दुकानों के बंद रहने और सड़कों पर वाहनों की अनुपस्थिति के कारण स्थिति गंभीर हो गई। कोच्चि और कोल्लम में प्रदर्शनकारियों ने केएसआरटीसी (केरल राज्य सड़क परिवहन निगम) की बसों को रोका। एक घटना में, सीआईटीयू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स) के सदस्यों ने कोच्चि से कोझिकोड जा रही एक लो-फ्लोर बस को रोक दिया।
हड़ताल का उद्देश्य
केंद्रीय और क्षेत्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी नए श्रम कानूनों और निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक और अन्य सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना है। श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन को 26,000 रुपये करने और पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू करने की मांग की है।
एक श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि इस हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है।
आरएसएस का विरोध
हालांकि, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा है, ने इसे राजनीतिक प्रेरित बताते हुए हड़ताल में भाग न लेने का निर्णय लिया है। सीआईटीयू के राष्ट्रीय सचिव ए आर सिंधु ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों के लगभग 25 करोड़ श्रमिकों के हड़ताल में शामिल होने की संभावना है।
उन्होंने कहा, "इस दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन होंगे और बैंकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है।"
किसानों की एकता
सिंधु ने यह भी कहा कि असंगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारी संभवतः विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्हें भी संगठित किया जाएगा। इस दौरान सड़क पर आवागमन रोकने और 'रेल रोको' प्रदर्शन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में श्रमिकों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और यह हड़ताल मजदूरों और किसानों की एकता को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) 9 जुलाई को देशभर में तहसील स्तर पर स्वतंत्र रूप से और ट्रेड यूनियनों और कृषि श्रमिक संघों के समन्वय से विरोध रैलियां आयोजित करेगा। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने भी देशभर के मनरेगा श्रमिकों से हड़ताल में भाग लेने का आह्वान किया है।
आर्थिक नीतियों का प्रभाव
उनकी मांगों में 800 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी और पश्चिम बंगाल में मनरेगा को फिर से शुरू करने जैसी मांगें शामिल हैं। श्रमिक संगठनों ने कहा कि 1991 में नव-उदारवादी नीतियों के लागू होने के बाद यह 22वीं आम हड़ताल है। पहले यह हड़ताल 20 मई को होने वाली थी, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के चलते इसे टाल दिया गया था।
हड़ताल में शामिल श्रमिक संगठनों में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।