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दूध वाली चाय और किशोरों में तनाव: नई शोध रिपोर्ट

हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि दूध वाली चाय का सेवन किशोरों में तनाव और चिंता को बढ़ा सकता है। चीन के शोधकर्ताओं ने 5000 से अधिक छात्रों पर अध्ययन किया और पाया कि दूध वाली चाय की लत अवसाद और सामाजिक अलगाव से जुड़ी है। इस पेय में मौजूद कैफीन और अतिरिक्त चीनी किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। शोधकर्ताओं ने किशोरों को इस पेय के सेवन से हतोत्साहित करने की सिफारिश की है। जानें इस अध्ययन के और भी महत्वपूर्ण निष्कर्ष।
 

दूध वाली चाय का किशोरों पर प्रभाव

दूध वाली चाय किशोरों में तनाव का कारण बन सकती है।


किशोरावस्था में हार्मोनल बदलावों के कारण मूड स्विंग होना आम है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह पता चला है कि दूध वाली चाय का सेवन किशोरों में तनाव और चिंता को बढ़ा सकता है। चीन के सिंघुआ विश्वविद्यालय और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर पांच हजार से अधिक छात्रों का अध्ययन किया।


शोध में यह पाया गया कि दूध वाली चाय की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, किशोरों में इसके सेवन से अवसाद और चिंता के लक्षण बढ़ रहे हैं। अध्ययन में शामिल आधे से अधिक छात्रों ने बताया कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार दूध वाली चाय का सेवन करते हैं।


दूध वाली चाय में अक्सर अतिरिक्त चीनी और कैफीन होता है, जो अवसाद को बढ़ा सकता है और गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह पेय किशोरों में सामाजिक अलगाव और खराब मूड का कारण बन सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि दूध वाली चाय का सेवन अकेलेपन और अवसाद से जुड़ा हुआ है।


शोधकर्ताओं का मानना है कि किशोर इस पेय का उपयोग अपने भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने के लिए करते हैं, लेकिन यह शराब की लत की तरह हानिकारक हो सकता है। भविष्य में बड़े सैंपल साइज के साथ और अधिक शोध की आवश्यकता है। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने किशोरों को दूध वाली चाय के सेवन से हतोत्साहित करने की सिफारिश की है ताकि वे मोटापे, दांतों की सड़न और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकें।