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दुबई एयर शो में तेजस फाइटर जेट का क्रैश: आर्थिक नुकसान और बीमा की सच्चाई

दुबई एयर शो में तेजस फाइटर जेट के क्रैश ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर आर्थिक नुकसान और बीमा के संदर्भ में। इस लेख में जानें कि तेजस की कीमत क्या है, दुर्घटना कैसे हुई, और क्या सैन्य विमानों का बीमा होता है। इस घटना ने न केवल रक्षा विशेषज्ञों को बल्कि आम जनता को भी चिंतित कर दिया है।
 

तेजस का दुबई एयर शो में क्रैश

दुबई एयर शो में भारत का Tejas Mk-1 क्रैश,

तेजस का दुबई एयर शो में क्रैश: दुबई एयर शो में भारत का तेजस लड़ाकू विमान एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया। जो विमान कुछ क्षण पहले तक आसमान में गरज रहा था, वह अचानक जमीन पर गिरकर आग के गोले में बदल गया। इस घटना ने न केवल रक्षा विशेषज्ञों को चौंका दिया, बल्कि आम लोगों के मन में भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस दुर्घटना से देश को कितना आर्थिक नुकसान हुआ है? क्या एक फाइटर जेट के क्रैश होने पर भी उसका बीमा क्लेम किया जा सकता है?

दुर्घटना कैसे हुई?

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तेजस अपनी अद्भुत मैन्युवरेबिलिटी का प्रदर्शन कर रहा था। सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था, तभी अचानक विमान का संतुलन बिगड़ गया। विमान तेजी से नीचे गिरा और जमीन से टकराते ही एक जोरदार धमाका हुआ। टक्कर इतनी भयंकर थी कि केवल धुएं और आग की लपटें ही दिखाई दीं। इस हादसे में पायलट की जान चली गई है।

तेजस की कीमत कितनी है?

आर्थिक दृष्टिकोण से यह घटना देश के लिए एक बड़ा झटका है। अब सवाल यह उठता है कि उस मलबे की कीमत क्या है जो अब दुबई की धरती पर बिखरा पड़ा है? तेजस की वास्तविक कीमत का आकलन करने के लिए हाल के रक्षा सौदों पर ध्यान देना होगा। हाल ही में भारत सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 97 तेजस Mk-1A जेट्स के लिए लगभग 62,370 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। यदि इस राशि को विमानों की संख्या से विभाजित किया जाए, तो एक तेजस जेट की औसत लागत लगभग 680 करोड़ रुपये होती है।

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हालांकि, HAL के पुराने आंकड़ों के अनुसार, केवल विमान के ढांचे की कीमत लगभग 309 करोड़ रुपये होती है। लेकिन एक फाइटर जेट केवल लोहे और फाइबर का ढांचा नहीं होता। इसमें रडार, हथियार प्रणाली, सॉफ्टवेयर, और ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम की लागत भी शामिल होती है, जिससे कीमत 309 करोड़ से बढ़कर 680 करोड़ के आसपास पहुंच जाती है।

क्या इन विमानों का बीमा होता है?

जब हम अपनी कार या बाइक का एक्सीडेंट करते हैं, तो बीमा कंपनी नुकसान की भरपाई करती है। तो क्या 680 करोड़ के इस नुकसान की भरपाई कोई बीमा कंपनी करेगी? इसका उत्तर है नहीं। सैन्य विमानों के लिए कोई बाहरी या निजी बीमा पॉलिसी नहीं होती। इसके पीछे का कारण 'सॉवरेन रिस्क' और 'सेल्फ इंश्योरेंस' का मॉडल है।

नियम के अनुसार, जब तक विमान HAL की फैक्ट्री में है या टेस्ट फ्लाइट पर है, तब तक उसकी जिम्मेदारी और बीमा HAL के पास होता है। लेकिन जैसे ही विमान भारतीय वायुसेना (IAF) को सौंपा जाता है, वह देश की संपत्ति बन जाता है। सुरक्षा और युद्धक अभियानों में उपयोग होने वाले उपकरणों का जोखिम इतना अधिक होता है कि कोई भी साधारण बीमा कंपनी इसे कवर नहीं कर सकती। इसलिए, वायुसेना में शामिल होने के बाद यदि विमान क्रैश होता है, तो उसका पूरा वित्तीय भार भारत सरकार को उठाना पड़ता है। इसे 'सेल्फ इंश्योरेंस' कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि सरकार अपनी संपत्ति की बीमाकर्ता होती है।