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दुनिया के सबसे बड़े ठग: बुद्धिमानी का गलत इस्तेमाल

इस लेख में हम उन बुद्धिमान ठगों की कहानियों पर चर्चा करेंगे, जिन्होंने अपनी बुद्धि का गलत इस्तेमाल किया। चार्ल्स शोभराज से लेकर नटवरलाल तक, ये ठग अपनी चालाकियों से करोड़ों रुपये ठगने में सफल रहे। जानें कैसे इन्होंने राष्ट्रपति भवन और अन्य प्रसिद्ध इमारतों को बेचने का दावा किया।
 

बुद्धि का सही दिशा में होना आवश्यक


किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता ही समाज और देश के लिए लाभकारी नहीं होती; इसके लिए आवश्यक है कि यह बुद्धि सही दिशा में कार्य करे। जब बुद्धि सकारात्मक दिशा में होती है, तब रचनात्मकता और अच्छे कार्य होते हैं। लेकिन जब यह गलत दिशा में जाती है, तो यह विध्वंसक कार्यों का कारण बनती है।


बुद्धिमान ठगों की कहानी

आज हम कुछ ऐसे व्यक्तियों के बारे में चर्चा करेंगे, जो अत्यंत बुद्धिमान थे, लेकिन उनकी बुद्धि ने उन्हें ठगों की श्रेणी में ला खड़ा किया। इन ठगों ने अपनी चालाकियों से लोगों को धोखा देकर करोड़ों रुपये ठगे और राष्ट्रपति भवन तक को बेचने का दावा किया।


चार्ल्स शोभराज

चार्ल्स शोभराज


फिल्म ‘मैं और चार्ल्स’ में रणदीप हुड्डा ने चार्ल्स शोभराज का किरदार निभाया था। शोभराज का जन्म वियतनाम में हुआ और वह अपराध की दुनिया में एक किंवदंती बन गया। उसके खिलाफ भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से अधिक मामले दर्ज हैं। उसे सीरियल किलर के रूप में जाना जाता है, लेकिन अगस्त 2004 से पहले उसे किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया।


नटवरलाल

नटवरलाल



नटवरलाल, जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, भारत का सबसे बड़ा ठग माना जाता है। उसने दिल्ली के लाल किले, संसद भवन और ताजमहल तक को बेचने का दावा किया। पुलिस ने उसे 8 बार गिरफ्तार किया, लेकिन हर बार वह भागने में सफल रहा।


ठग बहराम

ठग बहराम


ठग बहराम को ठगी और हत्या के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि उसने अकेले 900 से अधिक लोगों की हत्या की। 1765 में जन्मे इस ठग को 1840 में फांसी की सजा दी गई। उसके गिरोह में लगभग 200 सदस्य थे, जो लूटपाट करते थे।


जॉर्ज सी पार्कर

जॉर्ज सी पार्कर


यह ठग अमेरिका में प्रसिद्ध इमारतों को बेचने के लिए जाना जाता है। उसने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर गार्डन और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी तक को बेचने का दावा किया।


विक्टर लस्टिग

विक्टर लस्टिग


1890 में चेकोस्लोवाकिया में जन्मे विक्टर ने फ्रांस के एफिल टॉवर को बेचने का दावा किया। उसने सरकारी अधिकारी बनकर कबाड़ व्यवसायियों से संपर्क किया और उन्हें धोखा दिया।