दुनिया का सबसे छोटा देश: प्रिंसिपैलिटी ऑफ सीलैंड की अनोखी कहानी
दुनिया के सबसे छोटे देश का परिचय
आज हम आपको एक अद्भुत देश के बारे में बताएंगे, जो अपने छोटे आकार के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह देश समुद्र के बीचोंबीच खंभों पर स्थित है, और यहां एक भी घर नहीं है। आइए जानते हैं कि यहां जीवन कैसे व्यतीत होता है।
जब हम किसी देश की बात करते हैं, तो अक्सर बड़े देशों की छवि हमारे मन में आती है, जहां जाने के लिए विमान, ट्रेन या जहाज की आवश्यकता होती है। वहां कई गाड़ियां, लाखों लोग, इमारतें और बाजार होते हैं। लेकिन अगर हम कहें कि दुनिया के सबसे छोटे देश में इनमें से कुछ भी नहीं है, तो आप क्या सोचेंगे?
दुनिया का सबसे छोटा देश इतना छोटा है कि यहां की जनसंख्या किसी मोहल्ले से भी कम है। यहां इमारतें और बाजार तो दूर, मकान भी नहीं हैं। तो फिर यहां का जीवन कैसा है? आइए जानते हैं।
प्रिंसिपैलिटी ऑफ सीलैंड का इतिहास
कई लोग मानते हैं कि दुनिया का सबसे छोटा देश वैटिकन सिटी है, लेकिन यह सही नहीं है। असल में, दुनिया का सबसे छोटा देश प्रिंसिपैलिटी ऑफ सीलैंड है, जो इंग्लैंड के सफोल्क तट से 10 किलोमीटर दूर स्थित एक खंडहर समुद्री किले पर बना है। यह किला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन द्वारा स्थापित किया गया था और बाद में इसे खाली कर दिया गया। तब से यह माइक्रोनेशन सीलैंड के नाम से जाना जाता है।
रॉय बेट्स नामक व्यक्ति ने 1967 में इस क्षेत्र को स्वतंत्र घोषित किया और खुद को सीलैंड का प्रिंस बना लिया। रॉय की मृत्यु के बाद, उनके बेटे माइकल ने इस माइक्रोनेशन का शासन संभाला। माइक्रोनेशन वे छोटे देश होते हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिलती।
सीलैंड का कुल क्षेत्रफल 1 किलोमीटर के चौथाई हिस्से के बराबर है, यानी 250 मीटर। यह खंडहर समुद्री किला जर्जर अवस्था में है और इसे रफ फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।
सीलैंड की जनसंख्या और शासन
सीलैंड को दुनिया का सबसे छोटा देश माना जाता है, जहां केवल 27 लोग निवास करते हैं। इस देश का अपना झंडा, मुद्रा और यहां तक कि एक सेना भी है। यहां कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं है, बल्कि इसे राजा और रानी द्वारा संचालित किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, इंग्लैंड ने इस स्थान का उपयोग जर्मनी से खुद को बचाने के लिए किया था। दुनिया में कई ऐसे माइक्रोनेशन मौजूद हैं।