दुग्ध उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि का नया रास्ता
दुग्ध उत्पादन का महत्व और सांची ब्रांड का विस्तार
किसानों की आय में वृद्धि के लिए दुग्ध उत्पादन की भूमिका
सांची ब्रांड का अधिकतम विस्तार किया जाए
पीपीपी मोड में दुग्ध उत्पादन गतिविधियों का विकास हो
मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच हुए समझौते के तहत राज्य स्तरीय संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को औद्योगिक गतिविधियों के विकास का आधार बनाना चाहिए। दुग्ध उत्पादन, उसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में रोजगार के कई अवसर हैं। यह किसानों की आय बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सभी जिलों में समन्वित गतिविधियों के माध्यम से सांची ब्रांड का विस्तार किया जाना चाहिए। सांची उत्पादों की ब्रांडिंग में गोवंश और गोपाल को शामिल किया जाए। यह निर्देश मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच हुए समझौते के तहत आयोजित राज्य स्तरीय संचालन समिति की बैठक में दिए। बैठक में वरिष्ठ विधायक श्री हेमंत खण्डेलवाल, अपर मुख्य सचिव श्री नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव श्री मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विकास श्री उमाकांत उमराव और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इसे प्रोत्साहित करने के लिए किसानों की दक्षता और क्षमता बढ़ाने के लिए ग्राम स्तर पर गतिविधियों का संचालन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि दुग्ध संकलन प्रणाली की निगरानी मजबूत हो। दूध की खरीद मूल्यें उत्पादकों के लिए लाभकारी होनी चाहिए और खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि दुग्ध उत्पादकों को समय पर भुगतान मिल सके।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश में पीपीपी मोड के तहत निजी भागीदारी और डेयरी सहकारी समितियों के समन्वय से दुग्ध उत्पादन गतिविधियों का विस्तार किया जाए। इससे प्रदेश में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उन्होंने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में डेयरी टेक्नोलॉजी पर केंद्रित पाठ्यक्रम शुरू करने की बात भी कही, जिससे डेयरी प्लांट संचालन में मदद मिलेगी और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा।
बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा कार्यभार संभालने के बाद सांची ब्रांड के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और सांची डेयरी शुरू करने की मांग कई स्थानों से आ रही है। दुग्ध उत्पादकों को दूध मूल्य के नियमित और समय पर भुगतान के लिए 10 दिन का रोस्टर तय किया गया है। दुग्ध संघों द्वारा दूध की खरीद मूल्य में 2.50 रुपये से 8.50 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। अब तक 1241 नई दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है और 635 निष्क्रिय समितियों को सक्रिय किया गया है। सम्पूर्ण डेयरी वैल्यू चेन का डिजिटलीकरण करने के लिए भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, बुंदेलखंड और जबलपुर दुग्ध संघों में सॉफ्टवेयर लागू किया गया है। दुग्ध संकलन के लिए इंदौर दुग्ध संघ से मोबाइल ऐप की व्यवस्था लागू की गई है, जिससे दूध की मात्रा, गुणवत्ता और मूल्य की जानकारी तुरंत प्राप्त होती है।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2029-30 तक 26 हजार गांवों में डेयरी सहकारी कवरेज का विस्तार करने, प्रतिदिन 52 लाख किलोग्राम दुग्ध संकलन करने, 35 लाख लीटर दुग्ध विक्रय और 63.3 लाख लीटर प्रतिदिन प्रसंस्करण क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। पिछले 2 वर्षों से बंद शिवपुरी डेयरी संयंत्र को शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। जबलपुर में 10 मीट्रिक टन क्षमता के पनीर प्लांट को पुनः आरंभ करने के लिए 5 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इंदौर में 30 मीट्रिक टन क्षमता का दूध पाउडर संयंत्र शुरू किया गया है, जिसके माध्यम से प्रतिदिन 3 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण किया जा रहा है। ग्वालियर डेयरी संयंत्र के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
बैठक में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के चेयरमेन श्री मीनेश शाह, कार्यकारी निर्देशक श्री एस. रघुपति, महाप्रबंधक श्री जिगनेश शाह, एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के प्रबंध संचालक डॉ. संजय गोस्वामी, ग्रुप हेड श्री असीम निगम, ग्रुप हेड डॉ. शुभंकर नंदा, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक डॉ. पी.एस. पटेल और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।