दिव्यांग मानवेंद्र की UPSC IES परीक्षा में सफलता की प्रेरणादायक कहानी
मानवेंद्र ने IES में 112वीं रैंक प्राप्त की
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षाएं देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में मानी जाती हैं। इस स्तर तक पहुंचने के लिए केवल अध्ययन ही नहीं, बल्कि धैर्य, संघर्ष और आत्मविश्वास की भी आवश्यकता होती है। बुलंदशहर के मानवेंद्र की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सीमाएं केवल परिस्थितियों की होती हैं, हौसले की नहीं। शारीरिक चुनौतियों और पारिवारिक दुखों के बावजूद, मानवेंद्र ने न केवल अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (IES) में भी सफलता प्राप्त कर एक मिसाल कायम की।
शारीरिक चुनौतियों के बावजूद प्रतिभा की चमक
मानवेंद्र की सफलता की यात्रा आसान नहीं रही। बचपन से ही उन्हें चलने-फिरने और बोलने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। उनकी मां रेनु बताती हैं कि प्रारंभ में डॉक्टरों ने भी उनकी शारीरिक समस्याओं के बारे में स्पष्ट कर दिया था। लेकिन परिवार ने हार मानने के बजाय मानवेंद्र की छिपी प्रतिभा को पहचानने का निर्णय लिया।
रेनु के अनुसार, मानवेंद्र की सोच उनकी उम्र से कहीं अधिक परिपक्व थी। इसलिए परिवार ने उनकी शारीरिक सीमाओं पर ध्यान देने के बजाय उनके मानसिक विकास पर जोर दिया। सही मार्गदर्शन और नियमित अभ्यास से मानवेंद्र की प्रतिभा और निखरती गई।
10वीं कक्षा तक आते-आते यह स्पष्ट हो गया था कि मानवेंद्र बेहद प्रतिभाशाली हैं। उन्होंने 12वीं कक्षा के साथ-साथ जेईई एडवांस की तैयारी की और 63वीं रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया। इसके बाद उन्होंने आईआईटी पटना से बीटेक की डिग्री प्राप्त की।
मां का समर्थन और IES में ऐतिहासिक सफलता
मानवेंद्र के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उनके पिता का निधन हो गया। इस दुखद घटना ने परिवार को झकझोर दिया, लेकिन मां रेनु ने अपने बेटे को हिम्मत दी और हर कदम पर उसका साथ दिया। रेनु खुद एक स्कूल की प्रिंसिपल हैं और शिक्षा के महत्व को भली-भांति समझती हैं।
मानवेंद्र ने अपनी IES की तैयारी नानी के घर पर रहकर की। शांत वातावरण, मां का विश्वास और आत्म-विश्वास उनकी ताकत बने। कड़ी मेहनत का परिणाम यह रहा कि उन्होंने भारतीय इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में 112वीं रैंक प्राप्त की। आज मानवेंद्र एक IES अधिकारी हैं और यह साबित कर चुके हैं कि मजबूत इरादे किसी भी शारीरिक अक्षमता को पार कर सकते हैं। उनकी कहानी हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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