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दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व और कुबेर देव की कथा

दिवाली का पर्व केवल दीपों और मिठाइयों का नहीं है, बल्कि यह समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन और वैभव का प्रतीक मानी जाती हैं। कुबेर देव की कहानी हमें सिखाती है कि धन का सही उपयोग और परोपकार में निवेश करना आवश्यक है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व इस बात को दर्शाता है कि धन और समृद्धि का सही उपयोग करना जरूरी है। जानें इस विशेष पूजा के पीछे की कथा और इसके महत्व के बारे में।
 

दिवाली लक्ष्मी पूजा का महत्व

दिवाली का त्योहार केवल दीपों और मिठाइयों का नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, शांति और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। इस दिन, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन, वैभव और ऐश्वर्य का प्रतीक मानी जाती हैं। पुराणों में लक्ष्मी जी और कुबेर देव की कथा इस पूजा के महत्व को दर्शाती है।


कुबेर देव की कहानी

कुबेर देव को धन का रक्षक और स्वर्ग तथा पृथ्वी के खजानों का स्वामी माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि कुबेर ने अपने खजाने पर गर्व किया और धन को केवल इकट्ठा करने का महत्व समझा। लक्ष्मी जी ने उन्हें यह सिखाया कि धन का सही उपयोग और परोपकार में निवेश करना आवश्यक है। इस शिक्षा के बाद कुबेर ने अपने अहंकार को त्याग दिया और धन का सही उपयोग करना शुरू किया, जिससे उनका वैभव स्थायी और शुभ बन गया।


दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा हमें याद दिलाती है कि धन और समृद्धि का सही उपयोग आवश्यक है। इस दिन लोग अपने घरों और व्यवसाय स्थलों की सफाई करते हैं, दीप जलाते हैं और देवी लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की स्थापना करते हैं। माना जाता है कि अमावस्या की रात या निशीता मुहूर्त में पूजा करने से लक्ष्मी जी की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख, शांति और आर्थिक स्थिरता बढ़ती है। दिवाली का यह पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी है।