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दिवाली 2025: निशिता काल में लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

दिवाली 2025 का पर्व भारत में विशेष महत्व रखता है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है, जो आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक है। विशेष रूप से निशिता काल में की जाने वाली पूजा को अत्यंत शुभ माना जाता है। जानें निशिता काल क्या है, इसका महत्व और 2025 में इसका मुहूर्त कब है। इस जानकारी से आप अपने दिवाली के अनुष्ठान को और भी प्रभावी बना सकते हैं।
 

दिवाली 2025 का महत्व

दिवाली 2025Image Credit source: AI

दिवाली 2025: दिवाली, जिसे 'दीपोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन सकारात्मकता, नए आरंभ और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यह पूजा न केवल आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य भी लाती है। परंपरा के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश की पूजा विशेष रूप से निशिता काल में करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। लेकिन निशिता काल क्या है और इसे इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? आइए जानते हैं।


निशिता काल की परिभाषा

निशिता काल क्या है?

निशिता काल वह समय होता है, जब रात के मध्य दिन और रात का संतुलन स्पष्ट होता है। इसे ज्योतिष और तांत्रिक ग्रंथों में पवित्र माना गया है। इस समय वातावरण की ऊर्जा विशेष रूप से सकारात्मक और सशक्त होती है। यही कारण है कि इस समय किए गए अनुष्ठान और मंत्र जाप का प्रभाव अधिक गहरा और दीर्घकालिक होता है। यह काल धन, विद्या और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, निशिता काल में किए गए कार्य केवल सांसारिक लाभ नहीं देते, बल्कि व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन में भी सहायक होते हैं.


निशिता काल मुहूर्त 2025

2025 में निशिता काल मुहूर्त का समय

पंचांग के अनुसार, दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए निशिता काल मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समय रात्रि 11:46 बजे से 12:36 बजे तक (21 अक्टूबर 2025 की रात से 22 अक्टूबर 2025 की सुबह तक) होता है। इस अवधि में की जाने वाली लक्ष्मी-गणेश पूजा से घर में समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य का वास होता है। इस समय किए गए अनुष्ठान विशेष प्रभावी माने जाते हैं और पूरे वर्ष लाभकारी रहते हैं.