दिल्ली हाई कोर्ट ने गौतम गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से किया इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौतम गंभीर फाउंडेशन और उसके सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है। यह मामला कोरोना महामारी के दौरान बिना लाइसेंस के दवाओं के वितरण से संबंधित है। उच्च न्यायालय ने पहले इस मामले पर रोक लगाई थी, लेकिन अब इसे आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आगे की प्रक्रिया के बारे में।
Aug 25, 2025, 18:22 IST
गौतम गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ कार्यवाही
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौतम गंभीर फाउंडेशन और उसके सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है। इस फाउंडेशन में गौतम गंभीर के साथ उनकी पत्नी और मां, सीमा गंभीर भी शामिल हैं। यह मामला कोरोना महामारी के दौरान बिना लाइसेंस के दवाओं के वितरण से संबंधित है।
सितंबर 2021 में, उच्च न्यायालय ने दिल्ली के औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा गौतम गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ रोहिणी कोर्ट में दायर की गई एक आपराधिक शिकायत पर रोक लगा दी थी। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत दायर इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक चिकित्सा शिविर में कोविड दवाओं का अनधिकृत भंडारण और वितरण किया गया।
इस शिकायत में जीजीएफ के ट्रस्टी, पूर्व भाजपा सांसद गौतम गंभीर, उनकी पत्नी नताशा गंभीर, मां सीमा गंभीर और सीईओ अपराजिता सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। औषधि नियंत्रण विभाग ने आरोप लगाया कि जीजीएफ के पास मेडिकल ऑक्सीजन सहित दवाओं के भंडारण या वितरण का लाइसेंस नहीं था, जिससे औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 का उल्लंघन हुआ।
वहीं, आरोपी के वकील ने इस वर्ष स्थगन की मांग की थी। 9 अप्रैल को न्यायमूर्ति नीना बंसल कृ्ष्णा ने अंतरिम रोक को हटा दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 26 नवंबर को उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध किया। सोमवार को रोक को बहाल करने की मांग करते हुए फाउंडेशन और उसके ट्रस्टियों के वकील जय अनंत देहाद्राय ने बताया कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष अगली तारीख अब 8 सितंबर है। उन्होंने अनुरोध किया कि आरोपियों को तब तक संरक्षण दिया जाए जब तक कि उच्च न्यायालय नवंबर में मामले की अगली सुनवाई नहीं कर लेता।