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दिल्ली सरकार पर क्लाउड सीडिंग के नाम पर करदाताओं के पैसे बर्बाद करने का आरोप

आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार पर क्लाउड सीडिंग पहल के तहत करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसे एक बेकार का प्रयास बताया और कहा कि विशेषज्ञ एजेंसियों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस मौसम में कृत्रिम बारिश संभव नहीं है। इस लेख में जानें कि कैसे दिल्ली सरकार ने इस पर धन खर्च किया और आईआईटी कानपुर ने इस प्रक्रिया के बारे में क्या कहा।
 

सौरभ भारद्वाज का आरोप

आम आदमी पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि उसने क्लाउड सीडिंग पहल के तहत करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद किए हैं। उन्होंने इसे एक बेकार का नाटक बताया। भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) जैसी विशेषज्ञ एजेंसियों ने पहले ही स्पष्ट किया था कि इस मौसम में दिल्ली में कृत्रिम बारिश संभव नहीं है और इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


दिल्ली सरकार की जवाबदेही

आप नेता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने स्पष्ट रूप से करदाताओं के पैसे एक निरर्थक प्रयास पर खर्च किए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्री और अन्य विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस मौसम में कृत्रिम बारिश नहीं हो सकती और इससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। भारद्वाज ने सवाल उठाया कि जब दिल्ली सरकार को यह जानकारी 6 से 8 महीने पहले मिली थी, तो उसने इस पर पैसे क्यों खर्च किए? उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।


क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया

क्लाउड सीडिंग एक उन्नत मौसम परिवर्तन तकनीक है, जिसमें विमान या अन्य साधनों का उपयोग करके सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे कणों को बादलों में डालकर वर्षा को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। दिल्ली सरकार ने अपनी वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीति के तहत दो क्लाउड सीडिंग अभियानों का आयोजन किया। हालांकि, बुधवार को होने वाला क्लाउड सीडिंग कार्यक्रम बादलों में नमी की कमी के कारण स्थगित कर दिया गया।


आईआईटी कानपुर का बयान

आईआईटी कानपुर द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया सही वायुमंडलीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है। बयान में बताया गया कि कल बारिश नहीं हो सकी क्योंकि नमी का स्तर 15 से 20 प्रतिशत था, लेकिन इस परीक्षण से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। आईआईटी कानपुर ने कहा कि दिल्ली में स्थापित निगरानी स्टेशनों ने कण पदार्थ और नमी के स्तर में वास्तविक समय में होने वाले परिवर्तनों को दर्ज किया है।