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दिल्ली विधानसभा में वित्तीय रिपोर्टों की जांच के लिए भेजी गईं चार कैग रिपोर्ट

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने चार कैग रिपोर्टों को लोक लेखा समिति के पास जांच के लिए भेजा है। इन रिपोर्टों में वित्तीय स्थिति, राजस्व अधिशेष में कमी और निर्माण श्रमिकों के कल्याण से जुड़े मुद्दों का उल्लेख है। गुप्ता ने बताया कि यदि केंद्र सरकार ने पेंशन और पुलिस पर खर्च नहीं किया होता, तो राजस्व घाटे में बदल जाता। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर और क्या जानकारी सामने आई है।
 

दिल्ली विधानसभा की वित्तीय रिपोर्टों की समीक्षा

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) के पिछले कार्यकाल के वित्त एवं विनियोग खाता 2023-24 और निर्माण श्रमिकों के कल्याण से संबंधित चार कैग रिपोर्टों को लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास जांच के लिए भेज दिया है।


गुप्ता ने बताया कि चार अगस्त को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा सदन में प्रस्तुत की गई तीन रिपोर्टों पर पीएसी अगले अधिवेशन में अपनी सिफारिशें पेश करेगी। विधानसभा सचिवालय ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की इन रिपोर्टों पर कार्रवाई की रिपोर्ट लोक लेखा समिति के समक्ष प्रस्तुत करें।


विनियोग खातों पर जारी रिपोर्ट में यह पाया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में 15,327 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जिनमें से 8,376.40 करोड़ रुपये समय पर वापस न किए जाने के कारण समाप्त हो गए। वित्त खातों पर प्रस्तुत कैग रिपोर्ट में 346.82 करोड़ रुपये के लंबित आकस्मिक बिल और 3,760.84 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र न मिलने पर चिंता व्यक्त की गई है।


राजस्व अधिशेष 2022-23 के 14,457 करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में 6,462 करोड़ रुपये रह गया। विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, गुप्ता ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने 11,123 करोड़ रुपये पेंशन और दिल्ली पुलिस पर खर्च नहीं किए होते, तो राजस्व अधिशेष राजस्व घाटे में बदल जाता।


राजकोषीय घाटा 2019-20 के 416 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 3,934 करोड़ रुपये हो गया। निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड पर जारी कैग रिपोर्ट में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या में कमी, कल्याण निधि के कम उपयोग और पंजीकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 6.96 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 1.98 लाख श्रमिकों का ही आंकड़ा उपलब्ध था।