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दिल्ली मेट्रो धमाके में अमर कटारिया की दुखद कहानी

दिल्ली मेट्रो के पास हुए एक धमाके में अमर कटारिया की दुखद कहानी सामने आई है। उनके परिवार और दोस्तों का हाल बेहाल है, और उनकी पहचान एक टैटू से हुई। जानें कैसे अमर ने अपने परिवार के लिए एक सहारा बनकर जीवन बिताया और उनकी अचानक मौत ने सभी को हिला कर रख दिया।
 

धमाके के समय की बातें

मेरे बुढ़ापे का सहारा टूट गया। धमाके से 10 मिनट पहले ही मैंने अपने बेटे से बात की थी। उसने परिवार के साथ डिनर की योजना बनाई थी। इसके लिए उसने भागीरथ पैलेस के पास अपनी दवा की दुकान को समय से पहले बंद कर दिया था और लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास अपने परिवार का इंतजार कर रहा था। वह बहुत खुश था। लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे फिर से कॉल किया, तो किसी अनजान महिला ने फोन उठाया और कहा कि यहां एक बड़ा धमाका हुआ है। इस दौरान चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं।


परिवार में मातम

लाल किला के पास हुए धमाके में जान गंवाने वाले अमर कटारिया के पिता, जगदीश कटारिया, अपने इकलौते बेटे की याद में फफक-फफक कर रोने लगे। जैसे ही अमर की मौत की खबर दोस्तों और परिवार वालों को मिली, उनके घर पर शोक का माहौल छा गया। अमर को जानने वाले सभी लोग इस खबर पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। वहीं, अमर की पत्नी कीर्ति और मां भारती कटारिया का रो-रोकर बुरा हाल था। जगदीश ने बताया कि उनके बेटे की उम्र 34 वर्ष थी। उसने एमबीए की पढ़ाई की थी और कोरोना महामारी से छह महीने पहले दवा का कारोबार शुरू किया था।


विदेश यात्रा की योजना

जगदीश कटारिया ने बताया कि उनके बेटे को यात्रा करने का बहुत शौक था। वह अक्सर परिवार के साथ विदेश यात्रा पर जाता था। अगली यात्रा की योजना बनाई जा रही थी, लेकिन इससे पहले ही वह इस दुनिया को छोड़ गया। अमर अपने पीछे तीन साल के बेटे विहान और पत्नी कीर्ति को छोड़ गया है। अमर की पहचान उसके हाथ पर बने टैटू और कपड़ों से हुई थी, जिसे उसके पिता ने पुष्टि की।


लैपटॉप और सोने की चेन की गुमशुदगी

अमर कटारिया के ससुर, स्वदेश सेठी, ने आरोप लगाया कि अमर के पास ऑफिस से निकलते समय लैपटॉप बैग था, जो अब तक बरामद नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि अमर के गले में सोने की चेन थी, जो गायब है।


परिवार और दोस्तों के लिए सहारा

लोगों ने बताया कि अमर हमेशा परिवार और दोस्तों के लिए एक सहारा बनकर खड़े रहते थे। उनके दोस्त सचिन ने कहा कि उन्होंने अपना सबसे करीबी और मददगार दोस्त खो दिया। परिवार के सदस्य जीत ने बताया कि अमर दवा के कारोबार के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय थे और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करते थे।