दिल्ली में लाल किले के पास धमाके के बाद घायलों का इलाज कैसे होता है?
दिल्ली में धमाका
दिल्ली के लाल किले के निकट एक धमाका हुआ है।
दिल्ली के लाल किले के पास हुए इस धमाके में कई लोगों की जान गई है और कई अन्य घायल हुए हैं। घायलों को दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। इस घटना के बाद यह जानना आवश्यक है कि डॉक्टर घायलों का इलाज कैसे करते हैं। दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के क्रिटिकल केयर विभाग के डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि धमाके के दौरान व्यक्ति हल्के या गंभीर रूप से घायल हो सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वह धमाके के कितनी निकटता में था।
धमाके में घायल हुए लोगों में विभिन्न प्रकार की चोटें होती हैं। कई लोगों के कान के पर्दे फट जाते हैं और शरीर में धमाके के छर्रे लग जाते हैं। इसके अलावा, हड्डियों या सिर पर भी चोटें लग सकती हैं। घायलों में जलने वाले लोगों की संख्या भी अधिक होती है। जब कोई घायल मरीज इमरजेंसी में लाया जाता है, तो सबसे पहले उसकी नब्ज की जांच की जाती है। यह देखा जाता है कि उसकी नब्ज और सांसें चल रही हैं या नहीं। इसके बाद उसकी चोट के अनुसार इलाज शुरू किया जाता है, जो ट्रायेज से शुरू होता है.
ट्रायेज प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में मरीजों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। पहली श्रेणी में वे लोग होते हैं जिन्हें तुरंत वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। दूसरी श्रेणी में वे होते हैं जिन्हें लगातार निगरानी की जरूरत होती है, और तीसरी श्रेणी में वे होते हैं जिनकी चोटें हल्की होती हैं। इसके बाद मरीजों के विभिन्न टेस्ट किए जाते हैं, जैसे एक्स-रे, CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शरीर के अंदर कोई गंभीर चोट नहीं है।
यदि किसी मरीज को सिर में चोट लगी है, तो न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी के डॉक्टर को बुलाया जाता है। वे एनीस्थीसिया के डॉक्टर के साथ मिलकर इलाज करते हैं। इसके अलावा, आर्थोपेडिक और मेडिसिन के डॉक्टर भी शामिल होते हैं। जिन लोगों की हड्डियों में चोटें होती हैं, उनका इलाज आर्थोपेडिक डॉक्टर करते हैं।
हार्ट और लंग्स की चोटें
घायलों को जल्द से जल्द इलाज देकर उनकी जान बचाना प्राथमिकता होती है। जिन लोगों को जलने की चोटें होती हैं, उन्हें ड्रेसिंग की जाती है और आईसीयू में रखा जाता है। जिन लोगों को सिर में चोटें होती हैं, उन्हें भी आईसीयू की आवश्यकता होती है। कुछ घायलों को ऐसे भी होते हैं जिनके लंग्स या हार्ट में धमाके से चोट लग जाती है। ऐसे मरीजों का इलाज वेंटिलेटर सपोर्ट पर किया जाता है। इमरजेंसी में इलाज का पूरा तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कैसी है और कहां लगी है। प्राथमिकता हमेशा जान बचाने की होती है।
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
डॉ. कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में कुछ ऐसे घायल भी आते हैं जिनकी चोटें हल्की होती हैं, लेकिन धमाके की आवाज और उसके बाद की अफरा-तफरी के कारण उन्हें पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर हो सकता है। ऐसे लोग काफी डर और घबराहट महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि कहीं फिर से ऐसा न हो जाए। ऐसे मरीजों को तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से काउंसलिंग कराई जाती है।