दिल्ली में लाल किले के पास धमाके की जांच: देवेंद्र और अमित की भूमिका
दिल्ली में धमाका और संदिग्धों की पहचान
लाल किले के निकट 10 नवंबर को हुए विस्फोट की जांच जारी है।
दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट के संबंध में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की है। इसमें देवेंद्र और अमित का नाम भी शामिल है। देवेंद्र वह व्यक्ति है जिसने आई20 कार खरीदी थी, जो इस घटना में शामिल है। वह ओखला का निवासी है और डेढ़ साल पहले उसने यह कार खरीदी थी। वही आई20 कार जिसमें विस्फोट हुआ, उस समय डॉक्टर उमर उसमें सवार थे। दूसरी ओर, अमित एक कार डीलर है, जिसे पुलिस ने बुधवार को हिरासत में लिया।
पुलिस आई20 कार की पूरी जानकारी जुटाने में लगी है। वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कार अमित के पास कैसे पहुंची। इसके अलावा, उमर किसके माध्यम से कार डीलर के संपर्क में आया था, यह भी जांच का विषय है।
अपराध में इस्तेमाल की गई कार के कानूनी पहलू
इस मामले को देखते हुए एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: यदि आपकी बेची गई कार किसी अपराध में इस्तेमाल होती है, तो क्या आप कानूनी मुसीबत में पड़ सकते हैं? इसका उत्तर है हां। यदि कार का सही तरीके से ट्रांसफर नहीं किया गया है, तो आपको गंभीर कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
लाल किले के पास हुए विस्फोट से यह स्पष्ट होता है कि पुरानी गाड़ी बेचने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है, जिसमें स्वामित्व का सही रिकॉर्ड और समय पर ट्रांसफर शामिल है। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई, तो मूल विक्रेता को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यदि गाड़ी का उपयोग किसी अपराध में किया गया हो।
कानून की दृष्टि में जिम्मेदारी
लाल किला विस्फोट जैसे मामलों में, एजेंसियां सबसे पहले गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में दर्ज नाम की जांच करेंगी। दिल्ली विस्फोट जैसे मामलों में, कार का उपयोग करने वाले पूर्व मालिक की जिम्मेदारी भारतीय न्याय संहिता (BNS) और मोटर वाहन अधिनियम (MVA), 1988 के तहत निर्धारित की जाती है।
गंभीर अपराधों के लिए, क्रिमिनल एक्ट यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति को उसके अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। पंजीकृत वाहन का मालिक आमतौर पर किसी तीसरे पक्ष द्वारा किए गए अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं होता है। अभियोजन पक्ष को वाहन के मालिक और अपराध के बीच सीधा संबंध स्थापित करना होगा।
मालिक की जिम्मेदारियां
कार के मालिक को यह साबित करना होगा कि उन्हें अपराध या अपराधी के इरादे की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी। यदि वाहन मालिक की सहमति के बिना कार बेची या इस्तेमाल की जाती है, तो उन्हें आमतौर पर आपराधिक दायित्व से सुरक्षा मिलेगी।
जब तक स्वामित्व RTO के रिकॉर्ड में आधिकारिक रूप से स्थानांतरित नहीं हो जाता, तब तक विक्रेता ही मोटर व्हीकल एक्ट (MVA) के अनुसार पंजीकृत कानूनी मालिक बना रहता है। जब कोई वाहन किसी अपराध में शामिल होता है, तो अधिकारी सबसे पहले RC पर दिए गए नाम से वाहन का पता लगाते हैं।
पुलिस शुरुआत में पंजीकृत मालिक से पूछताछ कर सकती है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर सकती है। इसके बाद पूर्व मालिक को कानूनी तौर पर जांच में सहयोग करना होगा और यह साबित करना होगा कि वाहन पहले ही बेचा जा चुका था और अपराध के समय उनके कब्जे में नहीं था।