दिल्ली में मेट्रो स्टेशन के पास धमाका: पीड़ितों की पहचान की दर्दनाक कहानियाँ
दिल्ली में मेट्रो स्टेशन के पास धमाका
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले मेट्रो स्टेशन के निकट हुए धमाके ने राजधानी की रात को भयावह बना दिया। शाम 6:52 बजे हुए इस विस्फोट ने 10 लोगों की जान ले ली और सैकड़ों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया। कई पीड़ितों की पहचान उनके शरीर पर बने टैटू, फटी शर्ट और कपड़ों के टुकड़ों से की गई। अस्पतालों और थानों के बाहर अपने प्रियजनों की तलाश में परिजन इंसानियत की सबसे बड़ी त्रासदी का सामना कर रहे थे। जांच एजेंसियां अब इस धमाके के फरीदाबाद कनेक्शन और आतंकवादी नेटवर्क की कड़ियों को सुलझाने में जुटी हैं।
दिल्ली की सामान्य शाम का भयावह मंजर
10 नवंबर की शाम दिल्लीवासियों के लिए सामान्य थी। सड़कें भरी हुई थीं, बाजारों में रौनक थी, और मेट्रो स्टेशनों पर भीड़ थी। लेकिन शाम 6:52 बजे, लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के निकट हुए जोरदार धमाके ने सब कुछ बदल दिया। कुछ ही सेकंड में हंसी और बातचीत की जगह चीख-पुकार और खून-खराबा ने ले ली। इस धमाके ने न केवल 10 जिंदगियों को निगल लिया, बल्कि उन परिवारों की उम्मीदों को भी तोड़ दिया जो उस समय वहां मौजूद थे।
टैटू से पहचान की गई अमर कटारिया का शव
चांदनी चौक के 34 वर्षीय दवा व्यवसायी अमर कटारिया भी इस धमाके का शिकार बने। उनका शरीर इतना झुलस गया था कि पहचानना मुश्किल था। परिवार की आखिरी उम्मीद उस टैटू से थी, जो उन्होंने अपने माता-पिता और पत्नी के नाम से बनवाया था। जब वही टैटू मिला, तो परिवार की उम्मीद भी खत्म हो गई। अमर की मां ने कहा, "कम से कम हमें यह सुकून है कि हमने अपने बेटे को पा लिया, भले वो अब नहीं है।"
नीली शर्ट से जुम्मन की पहचान
इदरीस नामक व्यक्ति ने पूरी रात अपने 35 वर्षीय रिश्तेदार मोहम्मद जुम्मन की तलाश की। रिक्शा चलाने वाला जुम्मन उस समय लाल किले के पास था। जब उसका फोन बंद हुआ, तो घर में बेचैनी बढ़ गई। अगले दिन पुलिस के फोन ने सारी उम्मीदें तोड़ दीं। शव मिला था, लेकिन अधूरा। नीली शर्ट और जैकेट ने ही पुष्टि की कि वो जुम्मन ही है। उसकी पत्नी दिव्यांग है, और तीन छोटे बच्चे अब अनाथ हो गए हैं।
पंकज साहनी की पहचान कपड़ों से
कैब ड्राइवर पंकज साहनी, जो रोज शाम को घर लौटकर पिता के साथ चाय पीता था, उस दिन वापस नहीं आया। जब टीवी पर विस्फोट की खबर आई, तो पिता राम बालक साहनी का दिल बैठ गया। फोन लगातार बंद था। पुलिस ने कपड़ों का विवरण मांगा, "शर्ट और नीली जींस।" कुछ घंटे बाद, एलएनजेपी अस्पताल के मोर्चरी में वही कपड़े मिले। पिता ने बताया, "मेरा बेटा वहीं पड़ा था, और मेरी दुनिया खत्म हो गई।" पंकज परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था।
अस्पतालों के बाहर खामोश चीखें
लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के बाहर रातभर लोगों की भीड़ रही। हर आंख में उम्मीद थी कि "शायद मेरा अपना घायल होगा, मरा नहीं।" लेकिन जैसे-जैसे शवों की पहचान होती गई, सन्नाटा गहराता गया। कोई टैटू से, कोई घड़ी या कपड़ों से अपने रिश्तेदार की पहचान कर रहा था। अस्पताल की दीवारें उस रात इंसानियत की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनीं।
फटी जेब और घड़ी बने पहचान के सबूत
कई पीड़ितों की पहचान ऐसे सामानों से हुई जो उनके साथ रह गए थे। एक युवक की पहचान उसकी फटी जींस की जेब में पड़े टूटी घड़ी से हुई, जबकि दूसरे की जेब में रखा फोन कवर परिवार के लिए संकेत बन गया। पहचान के ये टुकड़े रिश्तों के अंतिम सबूत बन गए।
धमाके का मंजर
लाल किले के पास का इलाका अब भी उस शाम की कहानी कहता है। वहां बिखरे जले हुए वाहनों के अवशेष, फटे कपड़े और पिघली धातुएं उस दर्द को बयान करते हैं जिसे शब्दों में पिरोना असंभव है। स्थानीय लोगों ने कहा, "हर तरफ सिर्फ खून और अफरा-तफरी थी… कोई किसी की मदद कर रहा था, कोई अपने को संभाल रहा था।"
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट
धमाके के बाद जांच एजेंसियों ने तुरंत रेड अलर्ट जारी किया। लाल किले और आसपास के इलाकों का डंप डेटा लिया गया ताकि किसी संदिग्ध कॉल या लोकेशन की जानकारी मिल सके। सूत्रों के अनुसार, धमाका पार्किंग एरिया के पास खड़ी एक कार में हुआ, जिसे रिमोट से डिटोनेट किया गया था। अब फॉरेंसिक टीम उस कार के अवशेषों से सुराग तलाश रही है।
अस्पतालों और थानों में रात
रातभर दिल्ली पुलिस और रेस्क्यू टीम ने 30 से ज्यादा लोगों को अस्पताल पहुंचाया। कुछ की हालत नाजुक बताई गई। वहीं, पुलिस थानों में गुमशुदगी की रिपोर्टों की बाढ़ आ गई। फोन लगातार बजते रहे- हर कॉल एक उम्मीद, और हर कॉल के बाद एक टूटता हुआ परिवार।
फरीदाबाद कनेक्शन की जांच
खुफिया सूत्रों का मानना है कि इस धमाके के तार फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉक्टर शाहीना के नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। माना जा रहा है कि उसी मॉड्यूल ने इस धमाके की योजना बनाई थी। जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क के सोशल मीडिया और बैंक ट्रांजेक्शन को खंगाल रही हैं ताकि पूरे मॉड्यूल का खुलासा किया जा सके।
राजधानी में सुरक्षा बढ़ाई गई
धमाके के बाद दिल्ली पुलिस ने पूरे सेंट्रल जोन में सुरक्षा बढ़ा दी है। मेट्रो, रेलवे स्टेशन, बाजारों और ऐतिहासिक स्थलों पर चेकिंग अभियान जारी है। सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील इलाकों में चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सीसीटीवी फुटेज की मदद से जांच में तेजी लाई जा रही है।
दिल्ली में गम और गुस्सा
इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना जता रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली के नागरिकों के लिए यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि उनके भरोसे पर चोट थी।
सवालों का सामना
धमाके की राख ठंडी हो चुकी है, लेकिन सवाल अब भी बाकी हैं। आखिर किसने की ये साजिश? क्यों? और कब तक निर्दोष लोग ऐसी हिंसा का शिकार बनते रहेंगे? लाल किले की दीवारें आज भी उस शाम की गूंज को अपने भीतर समेटे हैं। शायद, इतिहास फिर एक बार इंसानियत से पूछ रहा है। क्या हमारी संवेदनाएं भी अब राख हो चुकी हैं?