दिल्ली में प्रदूषण का नया खुलासा: पराली जलने का योगदान मात्र 6 प्रतिशत
दिल्ली का प्रदूषण स्तर
दिल्ली बना छठा सबसे प्रदूषित शहर
हाल ही में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्टूबर 2025 में दिल्ली छठे सबसे प्रदूषित शहर के रूप में उभरी है। गाजियाबाद और नोएडा जैसे आस-पास के क्षेत्र इस मामले में दिल्ली से भी आगे रहे हैं।
इस अध्ययन ने देश के विभिन्न हिस्सों में वायु गुणवत्ता की बिगड़ती स्थिति को उजागर किया है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) सबसे अधिक प्रभावित है। पिछले कुछ वर्षों से, दिल्ली के अक्टूबर के प्रदूषण को पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।
कई राजनीतिक नेताओं ने इस मुद्दे पर बयान दिए हैं, लेकिन इस नई रिपोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर में पराली जलाने का योगदान 6 प्रतिशत से भी कम था।
प्रदूषण के अन्य कारण
किसान नहीं, अन्य कारण हैं जिम्मेदार
रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता के लिए किसान जिम्मेदार नहीं हैं। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के पीछे कारखाने, यातायात और दिवाली के दौरान पटाखों का उपयोग मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) जैसे मौसमी उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकार की कमी भी सामने आई है।
धारूहेड़ा और शिलांग की स्थिति
धारूहेड़ा सबसे प्रदूषित शहर
हरियाणा का धारूहेड़ा अक्टूबर में सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां दो दिन ‘गंभीर’ और नौ दिन ‘बेहद खराब’ एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दर्ज किया गया। दिल्ली का मासिक औसत PM2.5 स्तर 107 ग्राम/घन मीटर रहा, जो सितंबर के औसत 36 ग्राम/घन मीटर से लगभग तीन गुना अधिक है।
भारत का सबसे स्वच्छ शहर
इसके विपरीत, मेघालय का शिलांग सबसे स्वच्छ शहर के रूप में उभरा, जहां औसत PM2.5 केवल 10 ग्राम/घन मीटर रहा। कर्नाटक और तमिलनाडु भी स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल हैं।
सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में रोहतक, गाजियाबाद, नोएडा, बल्लभगढ़, भिवाड़ी, ग्रेटर नोएडा, हापुड़ और गुड़गांव शामिल हैं, जो मुख्य रूप से NCR और हरियाणा में स्थित हैं।