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दिल्ली में धमाकों से दहशत: 8 लोगों की मौत, 2005 की यादें ताजा

दिल्ली में हाल ही में हुए धमाकों ने 2005 के सीरियल ब्लास्ट की यादें ताजा कर दी हैं। लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन पर हुए इस विस्फोट में 8 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए हैं। पुलिस और फायर ब्रिगेड ने तुरंत कार्रवाई की। जानें इस घटना का पूरा विवरण और इसके पीछे का आतंकवाद का चेहरा।
 

दिल्ली में धमाका: एक बार फिर दहशत का माहौल

दिल्ली, देश की राजधानी, एक बार फिर से धमाकों से दहल उठी है। यह घटना लाल किले के निकट मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास हुई, जहां एक खड़ी कार में जोरदार विस्फोट हुआ। इस धमाके ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। धमाके के तुरंत बाद कार में भीषण आग लग गई, जिसने पास खड़ी दो अन्य कारों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना में अब तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं, जिन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.


पुलिस और फायर ब्रिगेड की तत्परता

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंच गईं। सोमवार को हुई इस घटना ने 20 साल पहले के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट की यादें ताजा कर दी हैं, जब एक साथ कई बम धमाकों ने 60 लोगों की जान ले ली थी। इस बार भी राजधानी में हड़कंप मच गया है.


29 अक्टूबर 2005: एक दर्दनाक दिन

29 अक्टूबर 2005 को दीपावली का त्योहार नजदीक था। दिल्ली के बाजारों में रौनक थी, लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह दिन एक दर्दनाक घटना में बदल जाएगा.


पहला धमाका


स्थान: पहाड़गंज, नेहरू मार्केट


समय: 5 बजकर 38 मिनट


शाम 5:38 बजे पहाड़गंज की भीड़भाड़ में पहला धमाका हुआ। विस्फोट ने वहां खड़े लोगों को दहशत में डाल दिया। दुकानों के शीशे टूट गए और अफरातफरी मच गई.


दूसरा धमाका:


स्थान: डीटीसी बस में दूसरा विस्फोट


समय: 5 बजकर 52 मिनट


पहले धमाके के कुछ मिनट बाद ओखला-गोविंदपुरी क्षेत्र में एक डीटीसी बस में दूसरा विस्फोट हुआ। बस में लगभग 50 लोग थे और कंडक्टर ने संदिग्ध बैग को देखकर ड्राइवर को चेतावनी दी.


तीसरा धमाका:


स्थान: सरोजिनी नगर


समय: 5 बजकर 56 मिनट


सिर्फ चार मिनट बाद सरोजिनी नगर में तीसरा और सबसे विनाशकारी धमाका हुआ। यह जगह त्योहार के समय दिल्ली की सबसे भीड़भाड़ वाली मार्केट मानी जाती है.


आतंकवाद का चेहरा

जांच में पता चला कि इन धमाकों को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अंजाम दिया था। इस घटना ने कई परिवारों को हमेशा के लिए बदल दिया।


दिल्ली के लोग आज भी उस शाम को याद करके सिहर उठते हैं। दीपावली का त्योहार, जो खुशी का प्रतीक है, उस साल कई घरों में मातम लेकर आया।