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दिल्ली में घरेलू हिंसा का मामला: महिला ने पति के खिलाफ दर्ज कराई FIR

दिल्ली की एक महिला ने अपने पति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई है। उसकी शादी के बाद पति ने न केवल शारीरिक हिंसा की, बल्कि मानसिक और यौन उत्पीड़न के गंभीर मामले भी सामने आए। महिला ने जब सहने की हद पार की, तो उसने पुलिस में शिकायत की। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। जानिए इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी और अदालत के फैसले के बारे में।
 

दिल्ली की एक महिला की दर्दनाक कहानी


दिल्ली में एक महिला, जो एक हाउस वाइफ और दो बच्चों की मां है, ने अपने पति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। उसकी शादी एक स्थानीय युवक से हुई थी, जो एक निजी कंपनी में कार्यरत था। प्रारंभ में सब कुछ ठीक था, लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद पति का असली चेहरा सामने आने लगा। पहले तो उसने छोटी-छोटी बातों पर झगड़े शुरू किए, फिर शारीरिक हिंसा पर उतर आया।


महिला ने बताया कि एक दिन उसके पति ने ब्लेड से उसके हाथ पर वार किया और कहा कि उसे रसोई में खाना बनाना चाहिए। लेकिन उसका दुख केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं था। मानसिक प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न की सीमाएं तब पार हो गईं जब पति ने उसे जबरन 'वाइफ स्वैपिंग' के लिए मजबूर करना शुरू किया।


पति ने उसे एक होटल में ले जाकर अपने दोस्तों से मिलवाया, जहां उन्होंने उसे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। हालांकि, महिला किसी तरह वहां से भागने में सफल रही। लेकिन यह सब खत्म नहीं हुआ। पति ने एक फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर उसकी तस्वीरें पोस्ट कीं, जिससे यह दिखाने की कोशिश की गई कि वह पैसे लेकर संबंध बनाना चाहती है। जब महिला ने अपने पति से उसके भाई द्वारा की जा रही छेड़छाड़ की शिकायत की, तो उसने इसे नजरअंदाज कर दिया।


जब सहने की हद पार हो गई, तो महिला ने पुलिस में FIR दर्ज कराई। शुरुआत में केवल दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मामला दर्ज हुआ, लेकिन बाद में उसने बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के आरोप भी लगाए। इसके बाद पुलिस ने इन धाराओं को भी मामले में शामिल किया। पति ने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि यह सब एक वैवाहिक विवाद का परिणाम है।


हालांकि, जब पति ने एक नया सिम कार्ड लेकर फर्जी नाम से महिला से संपर्क करने की कोशिश की, तो अदालत ने सख्त रुख अपनाया। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने कहा कि यह मामला सामान्य वैवाहिक विवाद से कहीं अधिक गंभीर है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी को जमानत पर रिहा करना पीड़िता की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। अंततः हाईकोर्ट ने पति की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।