दिल्ली में क्लाउड सीडिंग परियोजना का परीक्षण स्थगित, नई तारीखें निर्धारित
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने क्लाउड सीडिंग परियोजना के परीक्षण की नई तारीखों की घोषणा की है। मानसून के कारण स्थगित इस परीक्षण का उद्देश्य दिवाली और सितंबर में होने वाले स्मॉग के खिलाफ प्रभावशीलता का परीक्षण करना है। जानें क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया और इसके विभिन्न प्रकारों के बारे में।
Jul 2, 2025, 13:12 IST
क्लाउड सीडिंग परियोजना का नया शेड्यूल
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी है कि कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग का परीक्षण मानसून के कारण टाल दिया गया है। अब यह 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच आयोजित किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश की अनुमति प्राप्त करने में सफलता मिली है। हम अगस्त के अंत से सितंबर के पहले सप्ताह के बीच इस प्रक्रिया का परीक्षण करेंगे। इसका उद्देश्य यह जानना है कि क्या यह दिवाली या सितंबर में होने वाले स्मॉग के खिलाफ प्रभावी हो सकता है।
परीक्षण की मंजूरी और सुझाव
मंत्री ने मीडिया को बताया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 4 से 11 जुलाई के बीच परीक्षण के लिए अनुमति दी थी, लेकिन भारतीय मौसम विभाग और पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने तारीखों में बदलाव का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि मानसून के बादल पैटर्न क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल नहीं हो सकते। इस सुझाव के बाद, दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर के परामर्श से DGCA से 10 अगस्त से 30 सितंबर के बीच सर्वोत्तम परिणामों के लिए अनुरोध किया है।
क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया
क्लाउड सीडिंग एक तकनीक है जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड या नमक जैसे पदार्थ मिलाए जाते हैं ताकि बारिश या बर्फबारी हो सके। इसे हवाई जहाज, रॉकेट या ज़मीन पर मशीनों के माध्यम से किया जा सकता है। यह तकनीक कई देशों में सूखे से निपटने, बर्फबारी बढ़ाने, ओलावृष्टि को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए उपयोग की जाती है। यह तब प्रभावी होती है जब आसमान में पहले से बादल मौजूद होते हैं, जिससे बारिश में 5-15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
क्लाउड सीडिंग का कार्यप्रणाली
क्लाउड सीडिंग में बादलों में कुछ विशेष पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिससे बारिश की बूंदें या बर्फ के टुकड़े बनते हैं। सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड, सूखी बर्फ या नमक जैसे पदार्थ जल वाष्प को आकर्षित करते हैं। जब जल वाष्प इन कणों के चारों ओर इकट्ठा होता है, तो यह बड़ी बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल में संघनित हो जाता है। जब ये बूंदें या क्रिस्टल भारी हो जाते हैं, तो वे बारिश या बर्फ के रूप में गिरते हैं।
क्लाउड सीडिंग के प्रकार
क्लाउड सीडिंग के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: शीत क्लाउड सीडिंग, जिसमें सिल्वर आयोडाइड का उपयोग अतिशीतित बादलों में बर्फ के क्रिस्टल बनाने के लिए किया जाता है, और गर्म क्लाउड सीडिंग, जिसमें नमक के कण छोटी बूंदों को बड़ी वर्षा की बूंदों में बदलने में मदद करते हैं।