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दिल्ली में कृत्रिम वर्षा का परीक्षण: प्रदूषण पर विजय की उम्मीदें धूमिल

दिल्ली में हाल ही में किए गए कृत्रिम वर्षा के परीक्षण ने प्रदूषण कम करने की उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहे। मौसम विभाग ने बारिश के कोई संकेत नहीं पाए, जबकि सरकार ने सूक्ष्म कणों में कमी का दावा किया। विपक्ष ने इस प्रयास का मजाक उड़ाया, जबकि सरकार ने इसे प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। जानें इस परीक्षण का इतिहास और भविष्य की योजनाएँ।
 

दिल्ली में बारिश की उम्मीदें

फिल्म 'लगान' के अंत में बारिश का दृश्य एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो सूखे गाँव में क्रिकेट टीम की जीत का प्रतीक है। इसी तरह, दिल्लीवासियों ने मंगलवार को बहुप्रचारित क्लाउड सीडिंग परीक्षणों के बाद बारिश की उम्मीद की थी, लेकिन निराशा हाथ लगी क्योंकि एक भी बूँद नहीं गिरी और राष्ट्रीय राजधानी की प्रदूषित हवा पहले जैसी ही बनी रही।


क्लाउड सीडिंग का प्रयास

पिछले कुछ वर्षों में, दिल्ली की सरकारें कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग के विचार पर विचार कर रही हैं, खासकर सर्दियों में जब प्रदूषक हवा में फँस जाते हैं। हालांकि, यह केवल एक अस्थायी उपाय है।


दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच, 53 वर्षों के बाद कृत्रिम वर्षा का परीक्षण किया गया। मौसम विभाग ने बारिश के कोई संकेत नहीं पाए। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षण किए हैं।


प्रदूषण में कमी का दावा

सरकार ने रिपोर्ट में कहा कि कृत्रिम वर्षा के परीक्षणों से सूक्ष्म कणों में कमी आई। हालांकि, मौसम की स्थिति आदर्श नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुछ बारिश दर्ज की गई।


कृत्रिम वर्षा से पहले मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में पीएम 2.5 का स्तर क्रमशः 221, 230 और 229 था, जो परीक्षण के बाद घटकर क्रमशः 207, 206 और 203 रह गया।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने इस प्रयास का मजाक उड़ाया, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इसे सराहा। 'आप' के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार ने बारिश के नाम पर धोखाधड़ी की है।


उन्होंने कहा कि आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में कहीं भी बारिश नहीं हुई।


भविष्य की योजनाएँ

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि कृत्रिम वर्षा परीक्षण का उद्देश्य प्रदूषण की समस्या का समाधान करना है। अगले कुछ दिनों में और परीक्षण किए जाने की योजना है।


सिरसा ने कहा कि अगर ये परीक्षण सफल रहे, तो फरवरी तक एक दीर्घकालिक योजना तैयार की जाएगी।


कृत्रिम वर्षा का इतिहास

दिल्ली में कृत्रिम वर्षा का पहला परीक्षण 1957 में किया गया था। पर्यावरणविदों ने इसे एक अस्थायी समाधान बताया है, जो प्रदूषण के मूल कारणों का समाधान नहीं करता।


वायु गुणवत्ता में सुधार

दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मंगलवार को थोड़ा सुधार हुआ, और एक्यूआई 294 दर्ज किया गया, जो एक दिन पहले 301 था।