दिल्ली में कार धमाके की जांच में आतंकवादियों के फोन से मिले चौंकाने वाले सबूत
दिल्ली के लाल किले के पास धमाके की जांच में प्रगति
10 नवंबर को लाल किले के निकट एक कार में हुए विस्फोट की जांच में अधिकारियों को महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों, जिनमें डॉ. मुज़म्मिल, आदिल, डॉ. शाहीन और इरफ़ान शामिल हैं, के मोबाइल फोन की जांच से लगभग 200 वीडियो प्राप्त हुए हैं। इन वीडियो में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर और अन्य आतंकवादियों के भाषण शामिल हैं, जो कट्टरपंथी विचारधाराओं को उजागर करते हैं।
आतंकवादी प्रशिक्षण और बम बनाने की तकनीक
इन वीडियो में से लगभग 80 आतंकवादी प्रशिक्षण, बम बनाने की विधियों और रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर केंद्रित हैं। यह सामग्री इन समूहों द्वारा ऑपरेशनल प्लानिंग और प्रशिक्षण के तरीकों को दर्शाती है।
संवेदनशील स्थलों पर निगरानी
गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों के फोन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मुंबई और अन्य राज्यों के धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाले बाजारों के वीडियो भी पाए गए हैं। ये रिकॉर्डिंग संभावित हमलों की योजना बनाने के लिए की गई निगरानी को दर्शाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़े लिंक
2022 में, डॉ. मुज़म्मिल और डॉ. उमर ने जैश के आदेश पर तुर्की में एक सीरियाई ISIS कमांडर से मुलाकात की थी। इस बैठक में बम बनाने की तकनीकों पर चर्चा हुई, जिससे इन आतंकवादी नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का पता चला।
NIA की कार्रवाई
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके के चार मुख्य आरोपियों की 10 दिन की कस्टडी प्राप्त की है। इनमें डॉ. मुज़म्मिल शकील गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और मुफ्ती इरफान अहमद वागे शामिल हैं।
गिरफ्तारियों का विवरण
NIA ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश पर श्रीनगर से चारों आरोपियों को हिरासत में लिया। इससे पहले, दो अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया गया था, जिससे कुल गिरफ्तारियों की संख्या छह हो गई है।
जांच की प्रगति
NIA ने प्रारंभिक जांच के लिए 15 दिन की कस्टडी मांगी थी। यह जांच विभिन्न राज्य पुलिस बलों के सहयोग से की जा रही है, जिसका उद्देश्य हमले में शामिल सभी आतंकवादियों को पकड़ना है।
अल फलाह यूनिवर्सिटी की जांच
ब्लास्ट के बाद, अल फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक डॉक्टर और स्टाफ जांच एजेंसियों के दायरे में हैं। सुरक्षा एजेंसियां विश्वविद्यालय में लगातार जांच कर रही हैं, जिससे वहां के छात्रों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है।
आतंकवादियों से जुड़े संभावित संदिग्ध
जांच एजेंसियां उन लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं जो विश्वविद्यालय छोड़कर गए थे। सूत्रों के अनुसार, कई लोगों ने अपने मोबाइल डेटा को डिलीट कर दिया है, जिसकी भी जांच की जाएगी।