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दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान: मोहन भागवत का दृष्टिकोण

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए उनकी जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल आश्रय स्थलों में भेजने से समस्या का समाधान नहीं होगा। भागवत ने मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने की कला पर भी प्रकाश डाला। इस विषय पर उनके विचार और आगामी कार्यक्रमों के बारे में जानें।
 

आवारा कुत्तों की समस्या पर मोहन भागवत का बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी पशुओं को जीने का अधिकार है। उन्होंने दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए उनकी जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, न कि उन्हें आश्रय स्थलों में भेजने पर।


भागवत ने यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय के उस आदेश पर की, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था।


कटक के जवाहरलाल नेहरू इंडोर स्टेडियम में एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'इस समस्या का समाधान केवल आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करके ही किया जा सकता है। आश्रय स्थलों में रखकर इसे हल नहीं किया जा सकता।'


उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि जब भारतीय गाय का दूध निकालते हैं, तो वे कुछ दूध ले लेते हैं और बाकी बछड़े के लिए छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा, 'यह मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने की कला है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर प्रकृति का संरक्षण किया जाना चाहिए।'


कटक की बैठक के बाद, भागवत पुरी के लिए रवाना हुए, जहां वे शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात करेंगे और श्री जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करेंगे। भागवत बुधवार शाम भुवनेश्वर पहुंचे और रात को उत्कल विपन्न सहायता समिति के कार्यालय में ठहरे। आरएसएस प्रमुख 15 अगस्त को ओडिशा का अपना दौरा समाप्त करेंगे।