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दिल्ली में अवैध निर्माण पर कार्रवाई: सीएम रेखा गुप्ता का बड़ा बयान

दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ एमसीडी की कार्रवाई जारी है, जिसमें मद्रासी कैम्प में 300 से अधिक झुग्गियों को ध्वस्त किया गया। इस पर सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यदि झुग्गियों को तोड़ने का आदेश है, तो प्रशासन कुछ नहीं कर सकता। इसके अलावा, हाईकोर्ट ने पुनर्वास की योजना बनाने का निर्देश दिया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई

दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ एमसीडी की कार्रवाई जारी है। हाल ही में कोर्ट के निर्देश पर मद्रासी कैम्प में 300 से अधिक अवैध मकानों को ध्वस्त किया गया। इस कार्रवाई पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने हजारों लोगों को बेघर किया है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोर्ट आदेश देता है, तो कार्रवाई करनी ही होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि झुग्गियों को तोड़ने का आदेश है, तो न तो सरकार और न ही प्रशासन कुछ कर सकता है। मद्रासी कॉलोनी बारापुला के किनारे स्थित है।


कोर्ट के आदेश का पालन

कोर्ट ने झुग्गी बस्ती को हटाने के लिए चार बार आदेश दिए हैं ताकि नाले की सफाई की जा सके। ऐसा न होने पर दिल्ली में 2023 जैसी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं की जा सकती। कैंप के निवासियों को नए घर आवंटित किए गए हैं। दिल्ली में तीन स्थानों पर कार्रवाई की गई है, जिसमें रेलवे ट्रैक के पास की झुग्गी बस्ती भी शामिल है।


बुलडोजर की कार्रवाई का विवरण

पिछले महीने से दिल्ली में अवैध निर्माण के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। 4 मई को तैमूर नगर में, 21 मई को सरोजिनी नगर में और 22 मई को ओखला गांव में कार्रवाई की गई। 30 मई को शाहदरा और खजूरी चौक में भी अवैध निर्माण हटाए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट ने बार-बार आदेश दिए हैं कि झुग्गियों को हटाया जाए ताकि नाले की सफाई हो सके।


हाई कोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने मद्रासी कैंप में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। अधिकारियों को 1 जून 2025 से इस आदेश का पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि ध्वस्तीकरण से पहले निवासियों के पुनर्वास के लिए एक व्यवस्थित योजना बनानी चाहिए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी निवासी पुनर्वास के अधिकार से परे किसी अन्य अधिकार का दावा नहीं कर सकता।