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दिल्ली ब्लास्ट मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 10 लापता छात्रों का रहस्य

दिल्ली में हुए एक भयानक विस्फोट की जांच में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 10 लोग रहस्यमय तरीके से लापता हो गए हैं। इनमें तीन कश्मीरी छात्र भी शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि ये लोग एक 'टेरर डॉक्टर मॉड्यूल' का हिस्सा हो सकते हैं। जांच में जैश-ए-मोहम्मद की डिजिटल फंडिंग और महिलाओं की भागीदारी के सबूत मिले हैं। इस मामले में यूनिवर्सिटी के संस्थापक की गिरफ्तारी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी।
 

दिल्ली ब्लास्ट की जांच में नया मोड़

दिल्ली में हुए एक भयानक विस्फोट की जांच में एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कम से कम 10 लोग, जिनमें तीन कश्मीरी छात्र भी शामिल हैं, अचानक लापता हो गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि ये लोग एक 'टेरर डॉक्टर मॉड्यूल' का हिस्सा हो सकते हैं, जिसने VBIED के माध्यम से यह धमाका किया। जांच में जैश-ए-मोहम्मद की डिजिटल फंडिंग, महिलाओं की भूमिका और पाकिस्तान के साथ संबंधों के ठोस सबूत मिले हैं। यूनिवर्सिटी के संस्थापक की गिरफ्तारी ने मामले को और गंभीर बना दिया है.


लापता छात्रों का रहस्य

खुफिया एजेंसियों के अनुसार, लापता छात्रों के मोबाइल फोन बंद हैं, जिससे उनकी गतिविधियों का कोई पता नहीं चल रहा है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान इन छात्रों के गायब होने की जानकारी मिली। प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी संभवतः लाल किला ब्लास्ट मॉड्यूल का मुख्य केंद्र हो सकती है.


क्या ये लोग 'टेरर डॉक्टर' मॉड्यूल से जुड़े हैं?

सूत्रों के अनुसार, लापता लोग उस मॉड्यूल का हिस्सा हो सकते हैं जिसने एक Hyundai i20 में अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल भरकर दिल्ली के लाल किले के पास विस्फोट किया। यह वही मॉड्यूल है जिसे जांच एजेंसियां 'टेरर डॉक्टर सेल' के नाम से जानती हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि कई आरोपी मेडिकल पृष्ठभूमि से हैं और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए हैं.


जैश-ए-मोहम्मद की फंडिंग और नए आतंकी प्लान

खुफिया जानकारी के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ हो सकता है। जैश ने हाल ही में 'फिदायीन ऑपरेशंस' के लिए डिजिटल फंडिंग की अपील की थी। जांच में यह भी पता चला है कि फंड जुटाने के लिए जैश ने पाकिस्तान में एक डिजिटल पेमेंट ऐप SadaPay का उपयोग किया.


जमात-उल-मुमिनात: जैश का महिला विंग

सूत्रों के अनुसार, जैश का महिला विंग जमात-उल-मुमिनात भी इस हमले से जुड़ा हो सकता है। इस विंग का नेतृत्व जैश प्रमुख मसूद अज़हर की बहन सादिया कर रही हैं। मुख्य संदिग्ध डॉ. शाहिना सईद, जिसे 'मैडम सर्जन' के नाम से जाना जाता है, इस महिला विंग की सदस्य है और उसने हमले की फंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


ब्लास्ट में हुई जानमाल की हानि

यह धमाका दिल्ली के इतिहास में पहला VBIED (वाहन-आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) हमला माना जा रहा है। इसमें कुल 15 लोगों की जान गई, जबकि विस्फोट करने वाला कार ड्राइवर, डॉ. उमर मोहम्मद, भी इस घटना में मारा गया.


यूनिवर्सिटी के संस्थापक की गिरफ्तारी

जांच में तेजी लाते हुए, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जव्वाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पकड़ा है। जांच एजेंसियां अब इन लापता लोगों, उनके डिजिटल ट्रेल, यूनिवर्सिटी में उनकी गतिविधियों और जैश मॉड्यूल से उनके संभावित संबंधों की गहराई से जांच कर रही हैं.