दिल्ली पुलिस ने 37 दिनों बाद बौद्धिक रूप से अशक्त युवती को परिवार से मिलाया
दिल्ली पुलिस की सफल कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने मध्य प्रदेश की एक 21 वर्षीय बौद्धिक रूप से अशक्त युवती को 37 दिनों की खोज के बाद उसके परिवार से पुनः मिलाने में सफलता प्राप्त की है। यह युवती पिछले महीने शाहदरा क्षेत्र में छोड़ दी गई थी।
युवती का उपचार और परिवार की खोज
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि युवती का उपचार मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) में चल रहा था, जहां उसे 7 अक्टूबर को उसके परिवार को सौंप दिया गया।
सीमापुरी पुलिस थाने को एक पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) कॉल के माध्यम से एक गर्भवती युवती के बारे में सूचना मिली। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी-शाहदरा) प्रशांत गौतम ने बताया कि युवती को मेडिकल जांच के लिए गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल ले जाया गया और बाद में स्थानीय अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और देखभाल के लिए इहबास में भर्ती करने का आदेश दिया।
परिवार का पता लगाने के प्रयास
डीसीपी ने कहा कि इहबास में भर्ती होने के बाद, युवती के परिवार का पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया गया, जिसमें मुख्य आरक्षी अंकुश को उसके पैतृक गांव रानीखेड़ा, मध्य प्रदेश भेजा गया। हालांकि, प्रारंभिक प्रयासों में कोई सुराग नहीं मिला।
अधिकारी ने बताया कि युवती की जानकारी और तस्वीर को दो समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया ताकि उसके परिवार का पता लगाया जा सके।
युवती की पहचान और परिवार से पुनर्मिलन
इहबास में उपचार के दौरान, युवती ने 7 सितंबर को समय से पहले एक बच्ची को जन्म दिया, जो बाद में एसडीएन अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गई।
युवती को उसके परिवार से मिलाने के लिए नए प्रयास करते हुए, मुख्य आरक्षी अंकुश और आरक्षी राज सहित सीमापुरी का पुलिस दल फिर से मध्य प्रदेश पहुंचा। इस बार, बागेश्वर धाम क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने युवती को पहचान लिया।
पुलिस ने युवती के पोस्टर लगाए और अंततः उसके परिवार का पता लगाने में सफल रही। अधिकारियों ने बताया कि परिवार के सदस्यों को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने मामले को संवेदनशीलता और सफलतापूर्वक सुलझाने के लिए पुलिस की सराहना की।