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दिल्ली धमाके के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर की जांच में भूमिका

दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण धमाके के बाद, जांच एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जव्वाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। फरीदाबाद में सक्रिय कथित 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' से जुड़े तीन डॉक्टरों के विश्वविद्यालय में काम करने की जानकारी ने संदेह को बढ़ा दिया है। सिद्दीकी का पुराना रिकॉर्ड भी जांच के दायरे में है, जिसमें जाली शेयरों के जरिए ठगी का मामला शामिल है। सरकार ने विश्वविद्यालय के खातों की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं। जानें इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है।
 

दिल्ली के लाल किले के पास धमाका और जांच की प्रगति

दिल्ली के लाल किले के निकट हुए भयानक विस्फोट में 13 लोगों की जान जाने के बाद, जांच की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। इस संदर्भ में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर और फाउंडिंग ट्रस्टी जव्वाद अहमद सिद्दीकी का नाम भी जांच एजेंसियों की सूची में शामिल हो गया है.


डॉक्टरों का संबंध और संदेह

शुरुआत में संदेह तब गहरा हुआ जब फरीदाबाद में सक्रिय कथित 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' से जुड़े तीन चिकित्सक, डॉ उमर नबी, डॉ मुअज्जमिल शकील और शाहीन शाहिद, अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत पाए गए। इस जानकारी के आधार पर, एजेंसियों ने विश्वविद्यालय और उससे जुड़े व्यक्तियों की गतिविधियों पर गहराई से ध्यान देने का निर्णय लिया.


जव्वाद सिद्दीकी का परिचय

जव्वाद सिद्दीकी मध्य प्रदेश के निवासी हैं और उन्होंने देव अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंदौर पुलिस के अनुसार, उनका परिवार कभी महू के कायस्थ मोहल्ले में निवास करता था, जहां उनके पिता मोहम्मद हमीद सिद्दीकी 'सेहर काज़ी' के पद पर कार्यरत थे. स्थानीय पुलिस अब उनके पुराने संपर्कों और रिश्तेदारों की जानकारी जुटा रही है.


सिद्दीकी का करियर और विश्वविद्यालय की गतिविधियाँ

सिद्दीकी ने 18 सितंबर 1992 को अल-फलाह इंवेस्टमेंट्स में डायरेक्टर के रूप में कार्य करना शुरू किया। इसके बाद, 1995 में स्थापित अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की गतिविधियों में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जो वर्तमान में विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कई संस्थानों का संचालन कर रहा है.


विश्वविद्यालय का विस्तार और सिद्दीकी का कारोबारी नेटवर्क

विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर फरीदाबाद के धौज गांव में फैला हुआ है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 78 एकड़ है। इसके अलावा, सिद्दीकी करीब 15 कंपनियों से भी जुड़े हुए हैं, जो शिक्षा, सॉफ्टवेयर, कृषि और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं. दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इनमें से कई कंपनियों का रजिस्टर्ड पता जामिया नगर के एक ही स्थान पर है, जो उनके कारोबारी नेटवर्क पर सवाल उठाता है.


विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन घटनाओं से खुद को अलग करने की कोशिश की है। यूनिवर्सिटी के लीगल और फाइनेंस अधिकारी मोहम्मद रज़ी ने कहा कि उन्हें इन डॉक्टरों की विश्वविद्यालय के बाहर की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी और यह भी कि इस मामले के कारण विश्वविद्यालय के मेहनती विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए.


जव्वाद सिद्दीकी का पुराना रिकॉर्ड

जव्वाद सिद्दीकी का पुराना रिकॉर्ड भी अब जांच एजेंसियों के रडार पर है। 2000 में दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में उन पर और उनके कुछ साथियों पर निवेशकों को जाली शेयरों के जरिए ठगने का आरोप लगा था. इस मामले में लगभग 7.5 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का उल्लेख किया गया था.


सरकार की कार्रवाई और जांच

सरकार ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खातों की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं, जबकि ईडी समेत कई एजेंसियां ट्रस्ट और उससे जुड़ी कंपनियों के फंड के रास्तों की जांच कर रही हैं. कई कंपनियों के निष्क्रिय होने और कुछ के विभिन्न क्षेत्रों में पहले सक्रिय रहने की जानकारी भी सामने आई है.


जांच एजेंसियों की गतिविधियाँ

जामिया नगर स्थित यूनिवर्सिटी कार्यालय के कर्मचारियों ने बताया है कि विश्वविद्यालय का लाल किला धमाके से जुड़े गिरफ्तार डॉक्टरों से कोई औपचारिक संबंध नहीं है. जांच एजेंसियां फिलहाल सभी उपलब्ध कड़ियों को जोड़कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या विश्वविद्यालय या उससे जुड़े किसी संस्थान की गतिविधियों का इस पूरे नेटवर्क से कोई गहरा रिश्ता रहा है.