दिल्ली धमाके की दर्दनाक कहानी: पहचान के लिए परिजनों की संघर्ष
दिल्ली में धमाका: एक भयावह घटना
रोते बिलखते परिजन
सोमवार, 11 नवंबर, शाम 6:52 बजे… दिल्ली, जो देश की धड़कन मानी जाती है, में सब कुछ सामान्य था। लोग सड़कों पर थे, तभी लाल किले के मेट्रो स्टेशन के पास एक भयंकर धमाका हुआ। इस घटना ने सब कुछ बदल दिया। जहां पहले हंसी-खुशी थी, वहां अब चीख-पुकार मच गई। इस हादसे में 10 लोगों की जान चली गई, और शवों की हालत इतनी खराब थी कि पहचानना मुश्किल था। यह दृश्य इतना भयावह था कि सोचने पर भी रूह कांप जाए।
धमाके में मारे गए लोगों की पहचान करना उनके परिवारों के लिए आसान नहीं था। कुछ ने शरीर पर बने टैटू से तो कुछ ने चिथड़े हो चुके कपड़ों से अपने प्रियजनों की पहचान की। लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के बाहर पीड़ित परिवारों की भीड़ थी, जो अपने अपनों की तलाश में भटक रहे थे। उन्होंने तब तक उम्मीद नहीं छोड़ी जब तक कि टैटू, फटी आस्तीन या नीली शर्ट ने उनकी सबसे बुरी आशंका की पुष्टि नहीं कर दी। सोचिए, उस पल का क्या हाल होगा जब शवों के बीच अपने प्रियजन की तलाश की जा रही हो।
टैटू से पहचान: अमर कटारिया का मामला
टैटू से हुई बेटे के शव की पहचान
पीड़ितों में चांदनी चौक के 34 वर्षीय दवा व्यवसायी अमर कटारिया भी थे। उनका शरीर इतना झुलस गया था कि पहचानना मुश्किल था, लेकिन उनके परिवार ने शव पर बने टैटू से उनकी पहचान की। यह टैटू उन्होंने अपने माता-पिता और पत्नी को समर्पित किया था।
कपड़ों से पहचान: मोहम्मद जुम्मन की कहानी
नीली शर्ट और जैकेट बनी पहचान
इदरीस नामक व्यक्ति ने अपने 35 वर्षीय रिश्तेदार मोहम्मद जुम्मन की रात भर तलाश की। जुम्मन बैटरी रिक्शा चलाता था और धमाके के समय वहीं था। इदरीस ने बताया कि पुलिस ने उन्हें अस्पताल जाने को कहा, लेकिन जुम्मन वहां नहीं था। जब परिवार गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने गया, तभी उन्हें फोन आया कि शव मिल गया है। इदरीस ने कहा, 'शव के कुछ हिस्से गायब थे, लेकिन हमने जुम्मन को उसकी नीली शर्ट और जैकेट से पहचाना।' जुम्मन अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था।
पंकज साहनी का दर्द
शर्ट और जींस से पहचान
30 वर्षीय पंकज साहनी के परिवार ने रात को अनहोनी की आशंका से शुरुआत की, और अंततः वही हुआ जिसका उन्हें डर था। उनके पिता ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले टीवी पर विस्फोट की खबर देखी। पंकज कैब चालक था और उस दिन शाम को एक यात्री को छोड़ने के लिए घर से निकला था। जब परिवार ने पुलिस को बताया कि पंकज ने क्या पहना था, तो उन्हें LNJP अस्पताल बुलाया गया। वहां उन्हें अपने बेटे का शव पहचानने के लिए कहा गया।
धमाके का भयावह दृश्य
दर्दनाक मंजर
लाल किले के पास की संकरी गलियों में क्षतिग्रस्त वाहन, फटे कपड़े और जली हुई धातु के टुकड़े अब भी मौजूद हैं। ये सब इस खौफनाक मंजर को बयां करते हैं। अस्पतालों और पुलिस थानों के बाहर रात बिताने वाले कई लोगों के लिए यह एक ऐसा असहनीय दर्द दे गया है जो शायद कभी कम नहीं होगा।