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दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

दिल्ली दंगों से जुड़े आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 3 नवंबर को फिर से सुनवाई का आदेश दिया। उमर खालिद ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को झूठा बताया, जबकि शरजील इमाम की स्थिति पर भी चर्चा हुई। जानें इस मामले में क्या हुआ और आगे की सुनवाई में क्या हो सकता है।
 

सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की सुनवाई

दिल्ली दंगों के संदर्भ में शरजील इमाम, उमर खालिद और पिंजरा तोड़ ग्रुप की सदस्य गुल्फ शाह फातिमा की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने मामले की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद सुनवाई को 3 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। इस बार कोर्ट ने आरोपियों के लिए जो कदम उठाया, उसे भविष्य के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा सकता है।


कोर्ट का गंभीर रुख

जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसे 3 नवंबर को प्राथमिकता के साथ सुना जाएगा। कोर्ट में उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुनवाई को मंगलवार तक टालने की मांग की, लेकिन बेंच ने इसे ठुकरा दिया। जस्टिस ने कहा कि हमें नई सुनवाई करनी है और सभी को सोमवार को उपस्थित रहने के लिए कहा। सर्वोच्च अदालत का यह रुख दर्शाता है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जल्द निर्णय चाहती है।


आरोपियों की दलीलें

उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ हिंसा से संबंधित कोई ठोस सबूत नहीं है और उन पर लगाए गए साजिश के आरोप झूठे हैं। उनके वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए खालिद के 17 फरवरी 2020 को दिए गए भाषण को 'उत्तेजक' करार दिया था। सिब्बल ने कहा कि यह भाषण यूट्यूब पर उपलब्ध है और इसमें खालिद ने गांधीवादी सिद्धांतों पर चर्चा की थी।


शरजील इमाम की स्थिति

सिद्धार्थ दवे, जो शरजील इमाम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2024 तक पूरक आरोपपत्र दाखिल किए, जिससे यह स्पष्ट है कि जांच में देरी अभियोजन की ओर से हुई है। इमाम 25 जनवरी 2020 से अन्य मामलों में हिरासत में हैं। दवे ने यह भी कहा कि इमाम को अन्य भाषण मामलों में जमानत मिल चुकी है और वे केवल इसी मामले में जेल में हैं।


आगे की सुनवाई

जस्टिस कुमार ने पूछा कि आपके भाषण की प्रकृति क्या थी? दवे ने बताया कि इमाम ने 'चक्का जाम' और सीएए-विरोधी प्रदर्शनों की अपील की थी। यह भाषण दिसंबर 2019 के हैं, जो दंगों से दो महीने पहले के हैं। सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है और आगे की सुनवाई 3 नवंबर को होगी।