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दिल्ली जन विश्वास विधेयक: सीएम रेखा गुप्ता ने दी मंजूरी, जानें इसके महत्व

दिल्ली सरकार ने हाल ही में जन विश्वास विधेयक, 2026 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना और छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस विधेयक के माध्यम से व्यवसाय और जीवन में सुगमता को बढ़ावा देने की बात की है। जानें इस विधेयक के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

दिल्ली जन विश्वास विधेयक को मिली मंजूरी

सीएम रेखा गुप्ता


दिल्ली सरकार ने केंद्र के उदाहरण पर दिल्ली जन विश्वास विधेयक, 2026 को स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि इस विधेयक का उद्देश्य अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना और छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है, जिससे अदालतों पर बोझ कम हो सके और प्रशासनिक कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी हो सके।


सीएम ने कहा कि यह विधेयक केंद्र सरकार द्वारा लागू जन विश्वास (संशोधन उपबंध) अधिनियम, 2023/2025 के अनुरूप है, जिसके तहत केंद्रीय कानूनों में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद, यह विधेयक विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।


सीएम रेखा गुप्ता ने दी जानकारी


सीएम ने विधेयक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह दिल्ली सरकार द्वारा व्यवसाय में सुगमता और जीवन में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2023 में लागू जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम के तहत छोटे, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है।


विधेयक का उद्देश्य अपराध मुक्ति


मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक कानूनहीनता को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि दंड की अनुपातिकता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। इसके लागू होने से छोटे, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों में आपराधिक मुकदमे समाप्त किए जाएंगे, और उनकी जगह नागरिक दंड, प्रशासनिक जुर्माना और अपील की व्यवस्था होगी। गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों में कठोर प्रावधान यथावत रहेंगे। इससे अदालतों पर मुकदमों का बोझ घटेगा और प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी।


कौन से कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव


मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन अधिनियमों को इस विधेयक के दायरे में लाया गया है, उनमें शामिल हैं: दिल्ली औद्योगिक विकास, संचालन एवं अनुरक्षण अधिनियम, 2010; दिल्ली दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1954; और अन्य। इन सभी अधिनियमों में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त कर नागरिक दंड में बदलने का प्रस्ताव है।


हर 3 साल में जुर्माने की राशि में वृद्धि


इस विधेयक में यह भी प्रस्तावित है कि लागू होने के बाद हर 3 साल में जुर्माने की राशि में 10% की वृद्धि होगी, ताकि मुद्रास्फीति और लागत वृद्धि के अनुरूप दंड प्रभावी बना रहे। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस विधेयक से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और मौजूदा विभागीय संसाधनों से ही क्रियान्वयन किया जाएगा।