×

दिल्ली कोर्ट ने कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच पर रोक लगाई

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच पर रोक लगाते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस निर्णय ने दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मिश्रा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला। विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए सुनवाई के लिए नए निर्देश दिए हैं। जानें इस मामले में आगे क्या होगा और दिल्ली पुलिस ने क्या तर्क दिए हैं।
 

राउज़ एवेन्यू कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सोमवार को राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कानून मंत्री कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। इस निर्णय ने उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को उत्तर पूर्वी दिल्ली षड्यंत्र मामले में कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया गया था। विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने 23 फरवरी की घटना से संबंधित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया।


दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया कि उसने पहले ही कपिल मिश्रा की भूमिका के बारे में पूछताछ की है और उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।


विशेष अदालत का निर्देश

विशेष अदालत ने निचली अदालत को कानून के अनुसार शिकायत पर सुनवाई करने का आदेश दिया है। अप्रैल 2025 में, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश में कपिल मिश्रा और अन्य की भूमिका की आगे जांच करने का निर्देश दिया था, जिसे मिश्रा ने चुनौती दी थी। दिल्ली पुलिस ने भी निचली अदालत के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। 25 सितंबर को, राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा और दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।


इस मामले में आगे की जांच के निर्देश मोहम्मद इलियास द्वारा दायर शिकायत के आधार पर दिए गए थे।


दिल्ली पुलिस का तर्क

दिल्ली पुलिस ने विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद के माध्यम से यह तर्क प्रस्तुत किया कि कपिल मिश्रा की पहले ही जांच की जा चुकी है और कोई सबूत नहीं मिला है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मिश्रा को फंसाने की एक सुनियोजित कोशिश की गई थी, जिसमें व्हाट्सएप ग्रुप चैट और #ArrestKapilMishra जैसे सोशल मीडिया अभियानों का उल्लेख किया गया।


पुलिस ने अपने लिखित प्रस्तुतीकरण में आरोपपत्र का हवाला देते हुए बताया कि डीपीएसजी जैसे व्हाट्सएप ग्रुपों में हुई चर्चाओं से यह स्पष्ट होता है कि कुछ लोग मिश्रा के खिलाफ एक कहानी को बढ़ावा देने में लगे हुए थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि गहन जांच के बावजूद दंगों से संबंधित 751 एफआईआर में से किसी में भी मिश्रा का नाम नहीं आया।