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दिल्ली के लाल किला विस्फोट में एक और आरोपी गिरफ्तार, एनआईए की जांच जारी

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट के सिलसिले में एनआईए ने एक और आरोपी, जसीर बिलाल वानी, को गिरफ्तार किया है। इस हमले में 15 लोगों की मौत हुई थी। वानी ने आत्मघाती हमलावर के साथ मिलकर तकनीकी सहायता प्रदान की थी। एनआईए की जांच में यह भी सामने आया है कि उसने ड्रोन में बदलाव किया और रॉकेट बनाने का प्रयास किया। इस बीच, एक अन्य आरोपी आमिर राशिद अली को अदालत ने 10 दिन की हिरासत में भेज दिया है।
 

दिल्ली में हुए विस्फोट की जांच में प्रगति

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए विस्फोट के मामले में जम्मू-कश्मीर के एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इस घटना में 15 लोगों की जान गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। अधिकारियों ने सोमवार को इस गिरफ्तारी की जानकारी दी। आरोपी की पहचान जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश के रूप में हुई है, जो आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी के साथ काम करता था और उसे तकनीकी सहायता भी प्रदान करता था।


आतंकवादी हमले में जसीर का योगदान

एनआईए ने बताया कि लाल किला क्षेत्र में हुए कार बम विस्फोट की जांच के दौरान, उन्होंने एक और प्रमुख सहयोगी को गिरफ्तार किया है। जसीर बिलाल वानी, जो एक अन्य कश्मीर निवासी है, को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों के अनुसार, अनंतनाग जिले के काजीगुंड का निवासी वानी इस हमले का सक्रिय सह-षड्यंत्रकारी था। उसने विस्फोट से पहले ड्रोन में बदलाव किया और रॉकेट बनाने का प्रयास किया।


आरोपी की भूमिका और गिरफ्तारी

एनआईए की जांच में यह सामने आया है कि जसीर ने ड्रोन को संशोधित करके और कार बम विस्फोट से पहले रॉकेट बनाने का प्रयास करके आतंकवादी हमले में तकनीकी सहायता प्रदान की थी। इस हमले में 15 लोग मारे गए और 32 घायल हुए। आरोपी, जो अनंतनाग जिले के काजीगुंड का निवासी है, ने आतंकवादी उमर उन नबी के साथ मिलकर इस नरसंहार की योजना बनाई थी।


आमिर राशिद अली की हिरासत

इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने लाल किला विस्फोट के आरोपी आमिर राशिद अली को एनआईए की 10 दिन की हिरासत में भेज दिया है। आतंकवाद रोधी एजेंसी इस मामले में अंतरराज्यीय 'सफेदपोश' आतंकी मॉड्यूल के पीछे की साजिश का पता लगाने की कोशिश कर रही है। दक्षिण कश्मीर के पंपोर निवासी अली को कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस अदालत में पेश किया गया। मीडियाकर्मियों को अदालत परिसर में प्रवेश करने से रोका गया, जिससे कार्यवाही 'बंद कमरे में' हुई।