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दिल्ली के प्रदूषण से फेफड़ों पर पड़ रहा है गंभीर असर, जानें सरकार का जवाब

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित हवा से फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। सरकार ने हालांकि, एक्यूआई और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधे संबंध की कमी की बात कही है। जानें इस मुद्दे पर सरकार का क्या कहना है और क्या उपाय किए जा रहे हैं।
 

दिल्ली में प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

एआई जनरेटेड फोटो.

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे न केवल श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो रही है, बल्कि कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित वायु से श्वसन नलियों में जलन और सूजन होती है, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। इस बीच, सरकार ने स्पष्ट किया है कि उनके पास ऐसे ठोस आंकड़े नहीं हैं जो एक्यूआई के उच्च स्तर और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधे संबंध को दर्शाते हों। फिर भी, राज्यसभा में पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी रोगों के बढ़ने में एक महत्वपूर्ण कारक है।

कीर्ति वर्धन सिंह ने बीजेपी सदस्य लक्ष्मीकांत बाजपेयी के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। बाजपेयी ने पूछा था कि क्या सरकार को पता है कि अध्ययन और चिकित्सा परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक एक्यूआई स्तर के संपर्क में रहने से फेफड़ों में फाइब्रोसिस हो रहा है, जिससे उनकी क्षमता में कमी आती है।

क्या प्रदूषण से बचने के उपाय हैं?

बाजपेयी ने यह भी पूछा कि क्या दिल्ली-एनसीआर के निवासियों में फेफड़ों की लोच उन लोगों की तुलना में 50 प्रतिशत कम हो गई है जो अच्छे एक्यूआई वाले शहरों में रहते हैं। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार के पास फेफड़ों की फाइब्रोसिस, सीओपीडी, एम्फीसेमा और अन्य संबंधित बीमारियों से बचाने के लिए कोई उपाय हैं।

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मंत्री ने उत्तर में कहा कि वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है, जिसमें चिकित्सा अधिकारियों और नर्सों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल शामिल हैं।

मंत्री की अन्य जानकारियाँ

उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के लिए सूचना, शिक्षा और संचार सामग्री का विकास किया गया है, जो विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है। जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम ने भी संवेदनशील समूहों के लिए सामग्री तैयार की है। इसके अलावा, वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अलर्ट सिस्टम भी विकसित किए गए हैं ताकि प्रभावित जनसंख्या को तैयार रहने में मदद मिल सके।

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मंत्री ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वच्छ रसोई ईंधन उपलब्ध कराना है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें स्वच्छ हवा भी एक महत्वपूर्ण तत्व है।