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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आवास पर आम आदमी पार्टी का विवाद

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नए सरकारी आवास को लेकर आम आदमी पार्टी ने विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने इसे माया महल करार दिया है, जबकि रेखा गुप्ता ने अपने पहले 100 दिनों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इस लेख में जानें कि कैसे यह विवाद दिल्ली की राजनीति को प्रभावित कर रहा है और क्या है जनता की राय।
 

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का नया सरकारी आवास

दिल्ली में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आम आदमी पार्टी ने शीश महल का निर्माण किया था, जबकि अब वह दिल्ली की भाजपा सरकार के नए आवास को माया महल कहकर आलोचना कर रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपनी सरकार के पहले 100 दिनों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिससे विपक्षी पार्टी को उन पर हमला करने का एक नया मुद्दा मिल गया है। रेखा गुप्ता ने दिल्ली की तस्वीर को बदलने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिससे उनकी आलोचना का कोई ठोस आधार नहीं है।


मुख्यमंत्री बनने के बाद से रेखा गुप्ता शालीमार बाग में अपने पारिवारिक निवास पर रह रही हैं। हाल ही में उन्हें राज निवास मार्ग पर एक सरकारी बंगला आवंटित किया गया है, जिस पर आम आदमी पार्टी ने राजनीति शुरू कर दी है। यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित लुटियन्स जोन में एक भव्य सरकारी बंगले में रहती थीं, जबकि अरविंद केजरीवाल ने भी अपने लिए एक बड़ा शीश महल बनवाया था। इसके विपरीत, रेखा गुप्ता को एक सामान्य बंगला आवंटित किया गया है।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी ने इस नए बंगले को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया है, इसे माया महल करार देते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा सादगी का दावा करती है, जबकि मुख्यमंत्री को दो बड़े बंगले आवंटित किए जाने की संभावना है। पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और विधायक अनिल झा ने इस पर सवाल उठाए हैं।


दिल्ली सरकार या भाजपा की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जनता यह सवाल कर रही है कि कैसे आम आदमी पार्टी अपने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भव्य आवास को भूल गई है, जिसे उन्होंने शीश महल कहा था। आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन से शुरुआत की थी, लेकिन अब उनकी अपनी पार्टी के नेता भी कई विवादों में फंसे हुए हैं।


राजनीति में बदलाव की आवश्यकता

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सवाल पूछने का विपक्ष को पूरा अधिकार है, लेकिन उन सवालों का आधार होना चाहिए। बिना तथ्यों के आरोप लगाने वाली राजनीति का समय अब समाप्त हो चुका है। अगर आम आदमी पार्टी इसे नहीं समझती है, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है।