दिल्ली की अदालत ने सज्जन कुमार मामले में 10 आरोपियों को बरी किया
सज्जन कुमार मामले में अदालत का फैसला
दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 2013 में कांग्रेस कार्यालय के पास अनधिकृत विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और नौ अन्य को बरी कर दिया।
मई 2013 में तुगलक रोड पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 188 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) और 427 (50 रुपये या उससे अधिक की क्षति पहुंचाने वाली शरारत) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने 23 सितंबर को दिए गए अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपियों का एकत्र होना गैरकानूनी था या उन्हें अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत तितर-बितर होने का आदेश दिया गया था।
अदालत ने यह भी कहा कि सरकारी बस की खिड़की के शीशे तोड़ने की घटना भीड़ के कारण हुई थी। संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया।
इस मामले में अन्य आरोपी मनजीत सिंह जीके, ओंकार सिंह थापर, कुलदीप सिंह भोगल, मनदीप कौर बख्शी, अवतार सिंह हित, हरजीत सिंह, हरमीत सिंह कालका, तेजिंदर पाल सिंह गोल्डी और बलजीत कौर शामिल थे।
अभियोजन पक्ष का कहना था कि अभियुक्तों ने 2 मई, 2013 को लगभग 600 लोगों के साथ मिलकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।