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दिल्ली कार ब्लास्ट: ‘मैडम सर्जन’ की साजिश का खुलासा

दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच में डॉ. शाहीन शाहिद, जिन्हें 'मैडम सर्जन' कहा जाता है, मुख्य संदिग्ध के रूप में उभरी हैं। उनके पास से मिले सबूतों से पता चला है कि वह एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क का हिस्सा थीं, जो भारत के छह प्रमुख शहरों को एक साथ दहला देने की योजना बना रहा था। इस साजिश में शामिल अन्य कश्मीरी डॉक्टरों की भूमिका और फंडिंग के स्रोतों का भी खुलासा हुआ है। जानें इस पूरी कहानी के पीछे का सच और सुरक्षा एजेंसियों की जांच की दिशा।
 

दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच में नया मोड़

दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच में 43 वर्षीय डॉ. शाहीन शाहिद, जिन्हें 'मैडम सर्जन' के नाम से जाना जाता है, मुख्य संदिग्ध के रूप में उभरी हैं। जब्त की गई डायरी और डिजिटल सबूतों से पता चला है कि 6 दिसंबर को 'D-6 मिशन' के तहत एक बड़े हमले की योजना बनाई गई थी। शाहीन, कश्मीरी डॉक्टर मज़म्मिल और उमर के साथ 2021 से जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क में सक्रिय थीं। 20 लाख रुपये की हवाला फंडिंग और तुर्की में ISI हैंडलर से मुलाकात भी जांच का हिस्सा है।


साजिश का बड़ा खुलासा

जांचकर्ताओं का मानना है कि यह केवल एक विस्फोट नहीं था, बल्कि भारत के छह प्रमुख शहरों को एक साथ दहला देने की एक बहु-स्तरीय साजिश का पहला चरण था। डॉ. शाहीन शाहिद, जो पहले कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में एक सम्मानित डॉक्टर थीं, ने 2010 के बाद से अपने व्यवहार में बदलाव देखा। 2013 में वह अचानक कॉलेज से गायब हो गईं और 2021 में उन्हें औपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया गया।


‘D-6 Mission’ का विवरण

फरीदाबाद से गिरफ्तार शाहीन के पास से मिले डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। इनमें 'D-6 मिशन' की विस्तृत जानकारी, टारगेट शहरों की सूची, धमाकों की तारीखें, भर्ती का ढांचा और फंडिंग का विवरण शामिल है। सबसे महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि 6 दिसंबर को एक बड़े हमले की योजना बनाई गई थी, जिसे 1992 की बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने का बदला बताया गया है।


आतंकवादी नेटवर्क का खुलासा

जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन केवल एक स्थानीय मॉड्यूल का हिस्सा नहीं थीं, बल्कि वह जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान स्थित हैंडलरों के बड़े नेटवर्क से जुड़ी हुई थीं। मार्च 2022 में, उन्होंने कश्मीरी डॉक्टरों के साथ तुर्की में ISI हैंडलर से मुलाकात की, जहां 'D-6 मिशन' को हरी झंडी मिली।


हवाला नेटवर्क और भर्ती

जांच एजेंसियों ने एक 20 लाख रुपये का हवाला चैनल पकड़ा है, जिसका उपयोग शाहीन और उसके सहयोगियों ने सुरक्षित ठिकाने बनाने, नए भर्ती अभियानों और अन्य गतिविधियों के लिए किया। शाहीन के बैंक खातों की जांच की जा रही है, जिनमें कानपुर, लखनऊ और दिल्ली में कई खाते शामिल हैं।


दिल्ली ब्लास्ट: एक परीक्षण रन?

10 नवंबर का कार ब्लास्ट अब एजेंसियों द्वारा एक 'टेस्ट रन' के रूप में देखा जा रहा है। इसके तुरंत बाद कई अज्ञात मोबाइल नंबर सक्रिय हुए, जो शाहीन के नेटवर्क से जुड़े थे। दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो का मानना है कि यह मॉड्यूल पिछले चार वर्षों से भारतीय शहरों का मैपिंग कर रहा था।


कश्मीरी डॉक्टरों की भूमिका

डॉ. मुझम्मिल अहमद गनई और डॉ. उमर उन नबी, जो शाहीन के साथ इस मॉड्यूल में शामिल थे, ने मेडिकल स्टूडेंट्स को कट्टरपंथी बनाने और रिक्की टीमों को मेडिकल सहायता प्रदान करने का कार्य किया।


कट्टरपंथ की यात्रा

एक सहकर्मी ने बताया कि 2010 में शाहीन की विचारधारा में स्पष्ट बदलाव आया था। एक विदेशी डॉक्टर से लगातार संपर्क के बाद, वह 2015-16 में जैश की स्थानीय शाखाओं से जुड़ गईं और 2021 तक वह इस मॉड्यूल की रणनीतिक चेहरा बन गईं।


भारत के छह शहरों पर हमले की योजना

डायरी में दर्ज 'D-6 Mission' का नाम विशेष ध्यान खींचता है। एजेंसियों के अनुसार, यह योजना 6 दिसंबर 2025 को छह शहरों में एक साथ हमले करने की थी, जिसका उद्देश्य देश में व्यापक अस्थिरता पैदा करना था।