दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण और समाधान
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण मुख्य रूप से पीएम2.5 और पीएम10 के स्तरों के कारण होता है। इसमें वाहनों, औद्योगिक गतिविधियों, और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल और मौसम की प्रतिकूल स्थितियाँ शामिल हैं। यादव ने एक साक्षात्कार में कहा कि औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण ओजोन, सीसा, कार्बन, और सल्फर युक्त सूक्ष्म कण हवा में मिल जाते हैं, जिससे पीएम2.5 प्रदूषण में वृद्धि होती है।
धूल और मौसम की भूमिका
यादव ने स्पष्ट किया कि पीएम10 में धूल और बड़े कण शामिल होते हैं। जब ये कण एकत्र होते हैं और मौसम की स्थिति खराब होती है, तो प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो जाती है। जब हवा की गति कम होती है और धुआं लगातार निकलता रहता है, तो प्रदूषण हवा में स्थिर हो जाता है। उन्होंने यातायात प्रबंधन के महत्व पर भी जोर दिया, यह बताते हुए कि भीड़भाड़ से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
वायु गुणवत्ता में सुधार की चुनौतियाँ
भूपेंद्र यादव ने कहा कि हाल के दिनों में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया है, लेकिन दिसंबर में मौसम की प्रतिकूल स्थितियाँ चुनौतियाँ पेश करती हैं। उन्होंने बताया कि इस समय पश्चिमी विक्षोभ कभी-कभी वर्षा का कारण बनते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। हालांकि, जब ये प्रणालियाँ बिना वर्षा के गुजरती हैं, तो हवा की गति कम हो जाती है, जिससे पीएम2.5 और पीएम10 जैसे कण हवा में निलंबित रहते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में चरण-IV श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत सभी आवश्यक उपाय लागू किए हैं। इसमें गैर-जरूरी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, कुछ डीजल वाहनों के प्रवेश पर रोक, और प्रदूषण के स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कड़े प्रवर्तन शामिल हैं। सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर अपने अभियान को भी तेज कर दिया है, जिसके तहत हाल के चार दिनों में दिल्ली में 1 लाख से अधिक प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसीसी) जारी किए गए हैं।